श्रीनगर: (Srinagar) पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को कहा कि उमर अब्दुल्ला को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ अपनी बैठक के दौरान सोपोर और कठुआ में दो युवकों की मौत का मुद्दा उठाना चाहिए था।
हाल ही में दो मौतें हुईं हैं। एक ट्रक चालक वसीम की जिसे सेना द्वारा बार-बार रूकने की चेतावनी दी गई लेकिन वह नहीं रूका जिसके बाद सेना द्वारा की गई गोलीबारी में चालक की मौत हो गई और दूसरा 25 वर्षीय माखन दीन था जो आतंकियों का सहयोगी था और जिसने आत्महत्या कर ली थी।
मुफ्ती ने श्रीनगर में संवाददाताओं से कहा कि ऐसी स्थिति में हमें उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री अपनी हालिया बैठक के दौरान गृह मंत्री के साथ इस मुद्दे को उठाएंगे। पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्र शासित प्रदेश में पुलिस की बर्बरता को भी उजागर किया और मांग की कि उन पर अभियोग चलाया जाए।
महबूबा ने कहा कि उन्हें यह मुद्दा गृह मंत्री के सामने उठाना चाहिए था और उन्हें बताना चाहिए था कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी लेकिन अगर किसी निर्दाेष को सेना के जवान द्वारा नुकसान पहुंचाया जाता है तो उस जवान की पहचान की जानी चाहिए और उसे दंडित किया जाना चाहिए। हम यह नहीं कह रहे हैं कि पूरी सेना खराब है। उन्होंने कहा कि बिलावर के एसएचओ के खिलाफ शिकायतें हैं कि वह युवाओं को गिरफ्तार कर उनसे पैसे ऐंठ रहे हैं। जो पैसे नहीं देते, उन्हें वह उग्रवाद के मामलों में बंद कर देते हैं।
मुफ्ती ने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रयास करना अच्छा है लेकिन जीवन के अधिकार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा– आज नहीं तो कल या कभी और। हालांकि राज्य का दर्जा तब मायने रखेगा जब लोगों के पास जीवन का अधिकार होगा। इसलिए मुझे लगता है कि उमर साहब को यह मुद्दा गृह मंत्री के समक्ष उठाना चाहिए था।
सोपोर में युवक के परिवार से मिलने की अनुमति नहीं दिए जाने पर मुफ्ती ने कहा कि वह अपनी पार्टी के साथ उग्रवादी संगठन जैसा व्यवहार नहीं होने दे सकतीं। पीडीपी एक विपक्षी पार्टी है, हम उग्रवादी संगठन नहीं हैं। किसी भी अन्याय के पीड़ितों के साथ खड़ा होना हमारा कर्तव्य और अधिकार है। इन घटनाओं वाले दिन मैं सोपोर जाना चाहती थी और इल्तिजा बिलावर जाना चाहती थी। लेकिन बिना किसी सूचना या कारण के हमारे गेट पर ताला लगा दिया गया और हमें बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई।