ऋषिकेश के ग्रामीण क्षेत्र में की गई 250 जांचों में 29 मरीज डेंगू के पाए गए
ऋषिकेश: (Rishikesh) जनपद में वायरल फीवर के जरिए डेंगू अपना पांव पसारने लगा है। तीर्थ नगरी ऋषिकेश में भी डेंगू के मामले लगातार प्रकाश में आ रहे हैं। अभी तक जहां लगभग ढाई सौ की गई जांचों में 29 केश पाए गए हैं। इनमें अधिकांश कैसे ग्रामीण क्षेत्र के हैं।
इसे देखते हुए ऋषिकेश राजकीय चिकित्सालय में 20 बेड डेंगू के मरीजों के लिए आरक्षित किए गए। यह जानकारी राजकीय चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक पी के चंदोला ने देते हुए बताया कि शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण डर का माहौल बनना शुरू हो गया है। इसे देखते हुए ग्रामीण क्षेत्र में डेंगू की दस्तक के बाद लोग सहमे हुए हैं।
उधर, चिकित्सकों का कहना है कि आमलोगों की छोटी सी लापरवाही भारी पड़ सकती है। बात सफाई व्यवस्था की करें तो ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहर तक गंदगी पसरी हुई है। निगम का स्वच्छता महकमा छिड़काव कर तो रहा है, पर वो फिलहाल नाकाफी साबित हो रहा है। नालियाें में जमा गंदगी से शहर के कई मोहल्लों में नारकीय हालात हैं। ऋषिकेश की मलिन बस्तियों में नालियों में मच्छर पल रहे हैं। फोगिंग का कार्य भी कभी-कभी केवल नाम के लिए होता है। अभी के समय में हर जगह मच्छर बढ़ गए हैं।
इस तरह फैलता है डेंगू
चिकित्सकों का कहना है कि डेंगू मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं। ये मच्छर दिन में, खासकर सुबह काटते हैं। डेंगू की शिकायत बरसात के मौसम में ही सबसे ज्यादा होती है। डेंगू बुखार से पीड़ित मरीज के खून में डेंगू वायरस बहुत ज्यादा मात्रा में होता है। जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी मरीज को काटता है तो वह उसका खून चूसता है। खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर में चला जाता है। जब डेंगू वायरस वाला वह मच्छर किसी और इंसान को काटता है तो उससे वह वायरस उस इंसान के शरीर में पहुंच जाता है, जिससे वह डेंगू वायरस से पीड़ित हो जाता है।