मुरैना : प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति को मौत के घाट उतारने वाली महिला को शनिवार को सबलगढ़ न्यायालय से आजीवन कारावास की सजा से दण्डित किया गया है। न्यायालय ने प्रेमी को भी उतनी ही सजा सुनाई है, जितनी महिला को। इस मामले में आठ आरोपितों को न्यायालय ने बरी कर दिया है।
अभियोजन के अनुसार घटना 6 जुलाई 2016 की है। सबलगढ़ थाना क्षेत्र के रामचंद का पुरा गांव निवासी चतुरीबाई ने अपने पति वृंदावन उर्फ कल्ला केवट की गला दबाकर हत्या कर दी थी। चतुरीबाई ने इस हत्याकांड को अंजाम अपने प्रेमी विजय सिंह केवट के साथ मिलकर दिया था। हत्या करने के बाद चतुरीबाई और उसके प्रेमी विजय सिंह ने वृंदावन का शव खटिया पर लिटा दिया था ओर उसके ऊपर दीवाल गिरा दी थी जिससे यह हादसा प्रतीत हो। इसके बाद विजय सिंह ने गांव के ही गुलाब, नंदलाल, मनीराम, परीक्षत, राजाराम, पप्पू, कबाड़ी, रमेश सभी जाति केवट के साथ मिलकर मृतक के शव को जला दिया था। इस मामले में शक होने पर पुलिस ने जब छानबीन की तब इस हत्याकांड का मामला उजागर हुआ जिसमें पुलिस ने चतुरीबाई व विजय सिंह सहित अन्य लोगों के खिलाफ मामला कायम किया। हत्या का यह मामला सबलगढ़ जिला न्यायाधीश उमेश कुमार शर्मा की अदालत में चला। जहां न्यायालय ने चतुरीबाई व विजय सिंह को आजीवन कारावास की सजा से दण्डित किया है। साथ ही दोनों पर एक-एक हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। अन्य सभी आरोपियों को न्यायालय ने बरी कर दिया है। चूंकि चतुरीबाई व विजय अभी जमानत पर चल रहे थे इसलिए सजा सुनाए जाने के बाद दोनों को पुलिस ने अपनी अभिरक्षा में लेकर जेल भेज दिया। इस मामले मे अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक सुरेन्द्र शर्मा द्वारा की गई जबकि चतुरीबाई की तरफ से पैरवी अधिवक्ता राजेन्द्र सिंह जादौन ने की।
अब कैसे होगी चतुरीबाई की तीन बच्चियों की परवरिश: न्यायालय द्वारा पति की हत्या में दोषी ठहराई गई चतुरीबाई की पांच बच्चियां हैं। जिनमें से तीन बच्चियों काफी छोटी हैं। जिनकी उम्र क्रमश: चार, छह एवं आठ साल है। चूंकि पति की हत्या के बाद से ही चतुरीबाई अपने प्रेमी विजय सिंह के साथ रह रही थी इसलिए वह अपनी तीन तीनों बच्चियों को भी अपने साथ ही रखे हुए थी लेकिन अब चतुरीबाई जेल चली गई। ऐसे में इन छोटी बच्चियों के लालन पोषण की जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं है। हालांकि न्यायालय ने फिलहाल इन बच्चियों को विजय सिंह के पिता को सौंप दिया है।