नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कुष्ठ रोग से मुक्त हो चुके लोगों को मुख्यधारा में वापस लाने का प्रयास करने की सलाह देते हुए नगर निकाय से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि कुष्ठ रोगियों को उनकी कालोनियों से बाहर न निकाला जाए।
अदालत ने एक हालिया आदेश में यह भी कहा कि कुष्ठ से प्रभावित लोगों को दिव्यांग कोटा के तहत नियुक्ति देने पर विचार किया जाना चाहिए और लोगों को इस संबंध में जागरूक तथा संवेदनशील बनाना चाहिए, ताकि रोगियों के साथ भेदभाव न हो।
अदालत ने, हालांकि कुष्ठ कालोनी, ‘लेप्रोसी कॉम्प्लेक्स, ताहिरपुर’ में रहने वाले लोगों के जमीन का मालिकाना हक देने का अनुरोध करने वाली अर्जी खारिज करते हुए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) से यह सुनिश्चित करने के कहा कि जमीन पर कोई अतिक्रमण न हो।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चन्द्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड में मौजूद तथ्य इस बात को इंगित करते हैं कि कुष्ठ का इलाज संभव है और किसी व्यक्ति के कुष्ठ रोग से मुक्त होने के बाद व्यक्ति का पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए।