आलोक गुप्ता
प्रयागराज: (Prayagraj) एनसीजेडसीसी के बैनर तले माघ मेले में आयोजित ‘चलो मन गंगा-यमना तीर’ के पांचवें दिन कलाकारों ने लोक आस्था और परंपराओं पर आधारित गीतों को प्रस्तुत कर हर किसी का मन मोह लिया। कलाकारों द्वारा प्रस्तुत गीत – हमरे गऊवां चले डगरिया और चल के त्रिवणी नहाय ल… आदि पर श्रोताओं की खूब तालियां बजीं।
हर-हर महादेव और जय गंगा मइया के उद्धोष के साथ रविवार को ‘चलो मन गगा-यमुना तीर’ का पंडाल गुंजायमान हो उठा। कार्यक्रम का आगाज रंजीत कुमार के बिरहा गायन से हुआ। रंजीत कुमार ने – विधाता दुनिया कैसे के रहे दुखवा मिटे न, को प्रस्तुत कर प्रकृति और मानव के संबंध को बखूबी से पेश किया। इसके बाद साध्वी सेवा दास एवं दल ने निर्गुण भजन -जो सुख पायो राम भजन में, दगा हो गा बालम गई झूलनी टूटी, प्रस्तुत कर शाम को सुरमयी बना दिया।
अवधी गायक राजू सिंह ने -तिरंगा टाइगर हिल पर लहरा था अबकी लहराएंगे…, गीत प्रस्तुत कर लोगों में देशभक्ति की भावना का संचार किया। वहीं लोकगायिका कल्पना गुप्ता एवं दल ने- चल के त्रिवेणी नहाय ल, माई मोरी बिगड़ी बनाई देई और विदेशिया गीत- सारे जगतिया से सुन रे… को प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
तालियों की गड़गड़ाहट के बीच भोजपुरी गायक नीरज पांडेय ने -कान्हा पहन कर चुनर धानी अईले कहले राधा रानी एवं गऊवा चले डगरिया मोर चिरैय्या, गीत प्रस्तुत कर गांव-गिरांव की याद दिलाई। विजय चंद्रा एवं अनूप बनर्जी की जोड़ी ने- पायो जी मैंने राम रतन धन पायो, पर सिंथसाइजर के वादन से श्रोताओं से वाहवाही लूटी। इसी बीच कृष्णा प्रसाद एवं दल ने कजरी गीत- पिया मेंहदी मंगादे मोती झील से, कैसे खेलन जाइबो सजन कजरिया, बदरिया घेरी आई ननदी, की प्रस्तुति दी। इसके साथ ही राजस्थान का घूमर, बलिया का गोड़ऊ, बिहार का विदेशिया और मथुरा का मयूर नृत्य ने भी दर्शकों की तालियां बटोरी। संगत कलाकारों में पप्पू, अनिल कुमार, लालचंद्र दास ने साथ दिया। संचालन डा.पीयूष मिश्र ने किया।