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Homeshabdप्रेरक प्रसंग: गलत कौन

प्रेरक प्रसंग: गलत कौन

मेरा बेटा बगस राम के आदर्श पर चले, यही बात कहते हुए विद्याली प्रसाद सबको बता रहा था कि हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है, मां-बाप की बातों को मानना। बगस का एक दिन पिता से झगड़ा हो गया, तो बात ही बात में कह दिया, दूर हो जा मेरी नज़रों से और फिर कभी अपना मुंह मत दिखाना। बगस पिता से दूर हो गया। शहर में जा बसा। एक दिन पिता की मौत की खबर बास को लगी। दाह संस्कार पर बगस की अनुपस्थिति चर्चा का विषय रही। सबके सब कह रहे थे कि पिता के अंतिम संस्कार में बेटे को आना ही चाहिए। बगस ने सवालियों को उत्तर दिया कि राम भी तो पिता के दाह संस्कार में नहीं आए थे। में नहीं आया तो कौन-सा गलत काम कर दिया। मैं तो उसी की राह पर चला हूं। उत्तर सुन सबके सब हक्के-बक्के हो गए कि बगस को गलत आदमी कहने का क्या हक है। उन्हें अपना मुंह सिला हुआ लगा।

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