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सरगोशियां : मोहब्बत का फलसफा

कोई अचानक बहुत प्यार जताने लगे तो फूल के कुप्पा मत हो जाओ… किसी पर बहुत जल्दी विश्वास नहीं करना चाहिए. दो कदम पीछे होकर शांत दिमाग से जांचों परखो.
अपनी तारीफ पर खुश होकर होश नहीं खोना क्योंकि अपनी कमियां और खूबियाँ आप खुद बेहतर जानते हो (आईना देखते हो न 😉 )… वो सुना है न किसी को जीत न सको तो प्रशंसा से मार दो!
अपने सिवाय किसी को भी खुद पर शासन मत करने दो. जो आपको पसंद नहीं करते उनके साथ या आसपास रहना सिर्फ़ आपकी कमजोरी को दर्शाता है और इसका कोई explanation नहीं है.
बड़बोले मत बनो, अपना गुणगान मत करो ये ओछापन है. लोगों को सुनो… बहुत कुछ है उनके पास जिससे कुछ सीखा जा सकता है.

जब तक कहीं बहुत अच्छा न लगे वहां जाकर समय व्यर्थ करने की ज़रूरत नहीं है.
मोह मत पालो, “आओ तो welcome, जाओ तो भीड़ कम वाला attitude रखो”. यकीन मानो सच्चे दोस्त हमेशा साथ बने रहेंगे… मतलबी आते- जाते रहेंगे !
किसी की सफलता से चिढ़ना मूर्खता है , हर किसी का अपना संघर्ष और यात्रा है जिसके बारे में आप नहीं जानते, ख़ुद की यात्रा पर फोकस कीजिये क्योंकि तरक्की तो मेहनत करने से ही होगी।
और आखिरी बात किसी ने आपका छोटा सा काम भी किया हो तो उसका अहसान हमेशा याद रखो… अगर हो सके तो बिना उम्मीद किये लोगों के काम भी आते रहो.

ये मैंने जीवन से सीखा है, शायद आपके भी कुछ काम का हो !

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