रोजाना एक कविता: पढ़िए आशिमा नीलेश जैन की कविता ‘पापा’

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A poem a day
A poem a day

ख़ाली पन्नो को सार्थक बनानेवाले ‘लेखक’ पिता को समर्पित:

आप
किताब,
तो
मैं पन्ना…
पापा,
मुझे
आपके
जैसा ही
है बनना।

आशिमा नीलेश जैन

मुंबई