जनहित

0
259

 

वह एक अद्भुत दृश्य था
मेह बरसकर खुल चुका था
खेत जुतने को तैयार थे
एक टूटा हुआ हल मेड़ पर पड़ा था
और एक चिड़िया बार-बार बार-बार
उसे अपनी चोंच से
उठाने की कोशिश कर रही थी
मैंने देखा और मैं लौट आया
क्योंकि मुझे लगा मेरा वहां होना
जनहित के उस काम में
दख़ल देना होगा।

केदारनाथ सिंह
चर्चित कवि।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here