spot_img
Homepoemपूरी भई तब क्यों तोलै

पूरी भई तब क्यों तोलै

मन मस्त हुआ तब क्यों बोलै।
हीरा पायो गांठ गंठियायो, बार-बार वाको क्यों खोलै।
हलकी थी तब चढी तराजू, पूरी भई तब क्यों तोलै।
सुरत कलाली भई मतवाली, मधवा पी गई बिन तोले।
हंसा पायो मानसरोवर, ताल तलैया क्यों डोलै।
तेरा साहब है घर मांहीं बाहर नैना क्यों खोलै।
कहै कबीर सुनो भई साधो, साहब मिल गए तिल ओलै॥

कबीर
धार्मिक जागरण का प्रमुख स्वर। रहस्यवादी, सुधारवादी दृष्टि। प्रमुख कृतियां: बीजक, साखी, सबद।

spot_imgspot_imgspot_img
इससे जुडी खबरें
spot_imgspot_imgspot_img

सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली खबर