वाराणसी : हनुमान जयंती पर रविवार तड़के श्रद्धालुओं ने श्री संकटमोचन दरबार में पूरे आस्था के साथ हाजिरी लगाई। दरबार में दर्शन पूजन के लिए युवा श्रद्धालु आधी रात के बाद से ही पहुंचने लगे। मंदिर में दर्शन पूजन के बाद श्रद्धालुओं ने मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र से भी आर्शिवाद लिया।
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर लग्नानुसार मध्यरात्रि के बाद मंदिर में जन्मोत्सव की शुरुआत साढ़े पांच बजे मंगला आरती से जब हुई तो पूरा मंदिर परिसर श्री संकटमोचन हनुमान और जय श्रीराम के गगनभेदी जयकारे से गूंज उठा। हनुमान जी के विग्रह का शृंगार तुलसी की पत्तियों सहित विभिन्न फूलों की मालाओं से किया गया था। गर्भ गृह व मंदिर परिसर को कामिनी की पत्तियों, विभिन्न सुगन्धित फूलों की मालाओं से परम्परानुसार सजाया गया था। सुबह से दर्शन करने का जो सिलसिला शुरू हुआ वह दोपहर भोग आरती और उसके बाद तक लगा रहा। दरअसल, श्री संकटमोचन मंदिर की परम्परा के अनुसार उदया तिथि में नरक चतुर्दशी पड़ने पर ही हनुमान जयंती मनाई जाती है। इसी परंपरा को ध्यान में रखकर केवल आज के ही दिन प्रातःकाल साढ़े पांच बजे हनुमान जी की आरती की जाती है। इस बार पूजा का शुभ मुहूर्त शनिवार रात 11.45 बजे से देर रात 12.39 बजे तक रहा। माना जाता है कि हनुमान जी का जन्म जब माता अंजनी के गर्भ से हुआ था तब भगवान सूर्य उदय हो रहे थे। इसी मान्यता को मानकर संकट मोचन मंदिर में उदया तिथि से हनुमत प्रभु का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
इसी क्रम में दुर्गाकुंड स्थित वनकटी हनुमान, शिवाला स्थित शांति हनुमान मंदिर, महमूरगंज स्थित सालासर हनुमान मंदिर, काशी विश्वनाथ धाम स्थित अक्षयवट हनुमान जी का जन्मोत्सव रविवार तड़के मनाया गया। शनिवार मध्यरात्रि लग्नानुसार हनुमान जी के विग्रह को पंचामृत स्नान कराने के बाद सिंदूर-चमेली के तेल का लेपन किया गया। इसके बाद नूतन वस्त्र धारण कराकर तुलसी, गेंदा, गुलाब, कुंद की मालाओं से शृंगार कर लड्डू, फल, पंचमेवा का भोग लगाया गया। आरती के बाद भोर में 04 बजे से हनुमान जी का दर्शन पूजन शुरू हो गया। शहर के अन्य हनुमान मंदिरों में शनिवार को ही हनुमान जयंती मनाई गई।