Varanasi: वाराणसी में प्री-मेच्योर, कम वजन, सांस लेने व अन्य दिक्कतों वाले शिशुओं का होगा उपचार

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जिले के प्रसव केन्द्रों में जल्द स्थापित होंगे न्यू बोर्न केयर कॉर्नर,वजन मशीन, विटामिन-के, आपातकालीन व आवश्यक सुविधाओं से होंगे लैस

वाराणसी:(Varanasi) वाराणसी में प्री-मेच्योर, कम वजन, सांस लेने व अन्य दिक्कतों वाले शिशुओं का अब बेहतर ढंग से उपचार हो सकेगा। जनपद के उपकेंद्र स्तरीय हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (delivery centers) पर जल्द ही नवजात शिशु देखभाल कॉर्नर (New Born Care Corner-NBCC) स्थापित किए जाएंगे। न्यू बोर्न केयर कॉर्नर से जहां शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी। वहीं चिन्हित प्रसव केंद्र पर पर न्यूबोर्न केयर कॉर्नर अहम भूमिका निभाएंगे।

जिले के दूर-दराज के क्षेत्रों में संचालित किए जा रहे उपकेंद्र स्तरीय आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को भी लगातार सुदृढ़ किया जा रहा है। यहां प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के साथ ही मातृ व शिशु स्वास्थ्य देखभाल, नियमित टीकाकरण, परिवार कल्याण कार्यक्रम और संचारी व गैर संचारी रोगों की रोकथाम के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने मंगलवार को बताया कि स्वास्थ्य उपकेंद्र स्तर पर इस दिशा में बेहतर प्रदर्शन के लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। कोशिश की जा रही है कि प्रसव केंद्र के रूप में बने सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर वजन मशीन, आपातकालीन दवा व इंजेक्शन, विटामिन-के, ऑक्सीजन युक्त बेड एवं अन्य जरूरी सुविधाओं की उपलब्धता हो। इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

प्री मैच्योर, कम वजन व अन्य बीमारी से ग्रसित नवजात होंगे भर्ती

डिप्टी सीएमओ (आरसीएच) डॉ एचसी मौर्या ने बताया कि जनपद में उपकेंद्र स्तरीय प्रसव केंद्रों की संख्या 98 है। जल्द ही सभी इन प्रसव केन्द्रों पर न्यू बोर्न केयर कॉर्नर स्थापित किए जाएंगे। यहां एक चिकित्सक व एक स्टाफ नर्स तैनात रहेंगे। उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चे जिनके पैदा होने के बाद जिन्हें चिकित्सकीय उपचार की आवश्यकता होती है।

जैसे जन्म से पहले (प्री मेच्योर) पैदा हो गया हो, पैदा होने के बाद नहीं रोया हो, कम वजन का हो, सांस लेने में तकलीफ हो, पल्स रेट बढ़ी हो, ऑक्सीजन की कमी हो, मां का दूध नहीं पी पाता हो, गंदा पानी पेट में चला गया हो, हाथ-पैर नीले पड़ गए हों एवं जन्म के तुरंत बाद झटके आ रहे हों तो उन्हें सर्वप्रथम न्यू बोर्न केयर कॉर्नर में भर्ती किए जाएंगे। आवश्यक उपचार के साथ कंगारू मदर केयर से देखभाल की जाएगी। गंभीर स्थिति होने पर उसको जिला व सीएचसी स्तरीय चिकित्सा इकाइयों पर भर्ती कर इलाज किया जाएगा।

डॉ मौर्या ने बताया कि एनबीसीसी से डिस्चार्ज होने के बाद भी कम वजन वाले बच्चों में मृत्यु का अधिक खतरा रहता है। स्वस्थ नवजात की तुलना में जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों में कुपोषण के साथ मानसिक एवं शारीरिक विकास की दर प्रारंभ से उचित देखभाल के आभाव में कम हो सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए नवजात के डिस्चार्ज होने के बाद भी मां के साथ शिशुओं का नियमित फॉलोअप किया जाएगा। गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल (एचबीएनसी) के तहत आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल करती हैं।