वह चिड़िया जो…

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केदारनाथ अग्रवाल

वह चिड़िया जो-
चोंच मार कर
दूध-भरे जुंडी के दाने
रुचि से, रस से खा लेती है
वह छोटी संतोषी चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूं
मुझे अन्‍न से बहुत प्‍यार है।

वह चिड़िया जो-
कंठ खोल कर
बूढ़े वन-बाबा के खातिर
रस उड़ेल कर गा लेती है
वह छोटी मुंह बोली चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूं
मुझे विजन से बहुत प्‍यार है।

वह चिड़िया जो-
चोंच मार कर
चढ़ी नदी का दिल टटोल कर
जल का मोती ले जाती है
वह छोटी गरबीली चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूं
मुझे नदी से बहुत प्‍यार है।

कवि परिचय :

केदारनाथ अग्रवाल का नाम हिन्दी साहित्य के प्रमुख कवियों में शामिल है। ‘युग की गंगा’ और ‘फूल नहीं रंग बोलते हैं’ सहित कई अन्य काव्य संग्रहों की कविताओं से वे युवा पीढ़ी के प्यारे कवि बने रहे।