अनेक प्रकार की ड्रिलिंग मशीन और टेक्नोलॉजी से कर रहे काम
उत्तरकाशी: (Uttarkashi) केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Union Road Transport Minister Nitin Gadkari) ने कहा कि भारत सरकार और राज्य सरकार की पूरे इस ऑपरेशन में पहली प्राथमिकता सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को जल्द से जल्द सुरक्षित बाहर निकालना है।
रविवार को उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों के पूरे ऑपरेशन का निरीक्षण करने पहुंचे केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता श्रमिकों की रक्षा कैसे करें? उनकी जो आवश्यकता है, उनको कैसे मिले? जो फूड आदि चीजें हैं, उनके पास पहुंच पाएं? इस पर तेज़ी से कार्य हो रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में फूड और मेडिसिन पहुंचाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। यह कार्य जल्द पूरा होगा। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की लाइन भी है। सबसे बड़ी बात यह है कि उनकी रक्षा कैसे करें?
बिजली और पानी की व्यवस्था यह सब सपोर्टिंग हैं। कहने का मतलब यह है कि जितनी चीजों की आवश्यकता होती है, उनकी व्यवस्था पूरी कर ली गई हैं। यहां पर बहुत सी मशीनें पहुंच गयी हैं, जो पहला प्रयास हमने ऑगर ड्रिल मशीन का शुरू किया, जो अमेरिका में बनी हुई है। वह एक मशीन काम कर रही है। दूसरी भी मशीन है, पर वह मशीन अच्छा काम कर रही थी, लेकिन अचानक हार्ड मटेरियल आने के कारण थोड़ा सा चिंता का विषय हुआ है। अब उसका भी टेक्निकल सॉल्यूशन निकल गया है। वह मशीन से जो पाइप सुरंग के अंदर जाएगा, वह आखिरी तक पहुंच कर फिर वहां से लोगों को उसमें से बाहर निकालने का प्लान है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वर्टिकल भी तीन प्रकार के प्लान हैं। उसके लिए भी हमने कोई प्रयास ऐसा नहीं छोड़ा जो हम नहीं कर सकते थे। हमने सब प्रकार के प्रयास किए हैं। पहले हमारी प्राथमिकता है उन सभी श्रमिकों की जान बचाना और जल्द से जल्द उनको बाहर निकलना है तो इसके लिए अलग-अलग प्रकार की टेक्नोलॉजी काम कर रही है।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री धामी ने उनका पूरी तरह से प्रेजेंटेशन और उसकी अभी तक की पूरी रिपोर्ट ले ली है। राज्य सरकार और भारत सरकार जहां भी जरूरत होगी, वहां एयरलिफ्ट करना हो या रोड बनाना हो, जिसकी आवश्यकता होगी, उसे पूरा किया जाएगा। एक जगह पर पानी की बहुत जरूरत है। यह सब जितनी भी सपोर्टिंग चीजें हैं, उसकी व्यवस्था पूरी कर ली गई है। उन्होंने कहा कि यहां जो आपदा है, वह बहुत बड़ी समस्या है। फिर भी इसको जो कंक्रीट की लाइनिंग करते हैं, वह भी किया गया है और दोनों ओर से कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हिमालय की जियोलॉजी ऐसी ही है। हम जब महाराष्ट्र से हैं तो हमारे यहां पहाड़ मतलब होता है पत्थर। हिमालय राज्य उत्तराखंड, हिमाचल की मिट्टी कुछ अलग है। यहां मिट्टी सॉफ्ट है। इसको आइडेंटिफाई किया है और उसके लिए भी परमानेंट सॉल्यूशन कैसे ढूंढा जाए? उसके लिए उत्तराखंड सरकार ने भी एक रिसर्च इंस्टीट्यूट खोला है। मैं इतना ही बता सकता हूं कि यह जो ऑगर मशीन है, अगर ठीक से चल गई तो हम दो से ढाई दिन में वहां तक पहुंच सकते हैं और वह भी यह प्रयास सुरंग के सबसे नजदीक होने वाला है। इसके अलावा भी अलग-अलग प्रयास किए जा रहे हैं।
इस दौरान केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मुख्य सचिव बीएससी सिद्धू आदि श्रमिकों के परिवार जनों से भी मिले। गडकरी ने कहा कि मैंने उनके परिवारजनों को हिम्मत देते हुए हर संभव तरीकों से सभी श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकलने का आश्वासन दिया।इस दौरान आपदा सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन में अब रोबोट की मदद ली जाएगी। सुरंग में मशीनों के इस्तेमाल से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मलबा लगातार गिरने से रेस्क्यू में बाधा आ रही है।
इस मौके पर प्रधानमंत्री कार्यालय के उपसचिव मंगेश घिल्डियाल एवं प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार, उत्तराखंड सरकार के विशेष कार्याधिकारी भास्कर खुल्बे, मुख्य सचिव एसएस संधू , गंगोत्री क्षेत्र के विदाई सुरेश चौहान, भाजपा जिला अध्यक्ष सत्येंद्र राणा ,एनएचआईडीसीएल के निर्देशक, जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला ,पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी आदि मौजूद रहे।