हुगली:(Hooghly) हुगली जिले में रिषड़ा रेलवे स्टेशन के उत्तरी छोर पर एक नंबर रेलवे लाइन के पास टूटी हुई रेलवे दीवार से रोजाना हजारों लोग अपनी जान जोखिम में डालकर रेलवे लाइन आर-पार कर रिषड़ा स्टेशन पर चढ़ते और उतरते हैं। पूर्व में रेलवे ने इस टूटी हुई दीवार को जोड़ने का प्रयास भी किया था, जिसे बाद में तोड़ दिया गया था। इसी टूटी हुई दीवार से रोजाना रिषड़ा में रहने वाले हजारों लोग रेलवे लाइन पार करके रिषड़ा रेलवे स्टेशन पर चढ़ते और उतरते हैं।
रोज स्कूल टाइम में जब लोकल ट्रेनें आती हैं तो इस टूटी हुई दीवार से सटे आरबीसी रोड पर टोटो चालक इस प्रकार अपनी गाड़ी खड़ी करते हैं कि लोगों का आना जाना मुश्किल हो जाता है। टोटो चालकों के मनमाने तरीके से अपनी गाड़ी खड़ी करने के कारण एक तरफ जहां सड़क पर लंबा जाम लग जाता है, तो वहीं दूसरी तरफ स्कूली बच्चों और उनके अभिभावकों को अपनी जान जोखिम में डालकर रेलवे लाइन पर खड़ा रहना पड़ता है और सड़क के खाली होने का इंतजार करना पड़ता है। चूंकि पूर्व रेलवे के हावड़ा-बर्दवान (मेन) शाखा पर ट्रेनों की आवाजाही बहुत ज्यादा है। इसलिए स्कूली बच्चों और उनके अभिभावकों के रेलवे लाइन पर खड़ा रहने के कारण हमेशा दुर्घटना का खतरा बना रहता है।
जिस स्थान पर यह जाम लगता है वह रिषड़ा थाने के बिल्कुल करीब है। फिर भी किसी अज्ञात कारण से रिषड़ा थाने की पुलिस इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करती है। रेलवे पुलिस के आंखों के सामने रोज स्कूली बच्चों और उनके अभिभावक रेलवे लाइन पर खड़े रहते हैं पर किसी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगता।
स्थानीय रिक्शा स्टैंड के रिक्शा चालकों ने बताया कि जाम लगाने वाले टोटो चालक बाहरी हैं और स्कूल टाइम में वे जबरन अपनी टोटो सड़क पर खड़ी कर पैसेंजर उठाते हैं। हमने बार-बार पुलिस से मामले की शिकायत की है, लेकिन पुलिस बाहरी टोटो चालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती। कई बाहरी टोटो चालक हमारे स्टैंड में जबरन अपनी टोटो खड़ी कर देते हैं, टोटो हटाने को कहने पर वे मारपीट को उतारू हो जाते हैं। पुलिस से शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती।
स्थानीय लोगों का कहना है कि स्कूल टाइम में यहां जाम लगना, शोर-शराबे और गाली-गालौज आम बात है। कोई देखने वाला नहीं है। शायद प्रशासन को किसी बड़े हादसे का इंतजार है।