
कोपरी में बसे सिंधी भाषियों की इमारतों हो चुकीं हैं जर्जर
ठाणे : सिंध से विस्थापित हुए 75 साल पहले कोपरी के 200 सिंधी परिवारों का पुनर्विकास का सपना आखिरकार अब पूरा होने जा रहा है। महाराष्ट्र में पहली बार हो रहे इस प्रोजेक्ट ने सिंधी भाइयों के अन्य भवनों के विकास का मार्ग भी प्रशस्त किया। यहां के रहिवासियों का कहना है कि इस पुनर्विकास के लिए यहां स्थानीय पूर्व नगरसेवक भरत चव्हाण और युवा मोर्चा सचिव ओंकार चव्हाण का योगदान सराहनीय रहा। इनके प्रयासों से ही कोपरी में बसे सिंधी भाषियों के लिए के जर्जर हो चुके इमारतों का पुनर्विकास होने जा रहा है।
भारत विभाजन के बाद कोपरी में सिंधी लोगों की एक बस्ती बसाई गई। परिवारों को छोटी-छोटी बैरकों में जगह दी जाती थी। समय के साथ इस स्थान पर छोटी-छोटी इमारतें बन गई। इन इमारतों को 40 से 50 वर्ष पूरे होने के बाद पुनर्विकास की आवश्यकता थी, लेकिन इसमें कई तकनीकी दिक्कतों के वजह से अधर में लटका हुआ था, जिसके कारण यहां के सिंधियों ने जर्जर हो चुके इमारतों में अपनी जान हथेली पर रखकर रह रहे थे। कई तो इससे तंग आकर कई परिवार दूसरी जगहों पर चले गए थे।
पुनर्विकास का मुद्दा भाजपा के पूर्व वरिष्ठ नगरसेवक भरत चव्हाण ने उठाया
सिंधियों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए सिंधी कॉलोनी के पुनर्विकास का मुद्दा भाजपा के पूर्व वरिष्ठ नगरसेवक भरत चव्हाण ने उठाया। वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, विधायक संजय केलकर, विधायक निरंजन डावखरे सहित शहरी विकास विभाग, ठाणे नगर पालिका प्रशासन का लगातार फॉलोअप किया गया। इन इमारतों के पुनर्विकास में आ आरही अड़चनों को दूर किया गया और अब प्रायोगिक आधार पर जय मां सहकारी आवास समिति के इमारत क्रमांक 15 का प्रस्ताव तैयार किया गया। इस बिल्डिंग में 200 परिवार रहते थे। भरत चव्हाण ने बताया कि उन्होंने और ओंकार चव्हाण ने 200 निवासियों की एक बैठक कर उन्हें पूरी प्रक्रिया समझाई। बाद में स्थानीय निवासियों ने पुनर्विकास को मंजूरी दी।