तेहरान : (Tehran) भारत के लिए रणनीतिक महत्व रखने वाले ईरान के चाबहार बंदरगाह (Iran’s Chabahar port) की भंडारण क्षमता काे पचास फीसदी और बढ़ाया जाएगा ताकि इससे क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार काे मजबूती मिल सकें।
महत्वपूर्ण ईरान के परिवहन एवं शहरी विकास मंत्रालय के उप मंत्री तथा बंदरगाह एवं मैरीटाइम संगठन के प्रबंध निदेशक सईद रसूली (Saeed Rasouli) ने मंगलवार काे इस आशय की औपचारिक घाेषणा की।
खबराें के मुताबिक शहीद बेहेश्ती बंदरगाह (Shahid Beheshti Port) के बुनियादे ढांचे से जुड़ी परियाेजनाओं के अवलोकन के दौरान रसूली ने कहा, ” चाबहार में चल रही विकास और निर्माण परियाेजनाओं में कुल सार्वजनिक और निजी निवेश 240 खरब रियाल यानि करीब अड़तालीस कराेड़ डालर से अधिक पहुंच गया है जाे आवश्यक वस्तुओं की भंडारण क्षमता में पचास फीसदी बढ़ाेत्तरी का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।”
उन्हाेंने कहा कि एक साल के भीतर नए ‘मैकेनाइज्ड सिलाे’ और ‘कवर’ वाले वेअरहाउस के चालू हाेने के बाद बंदरगाह की जरूरी वस्तुओं का भंडारण करने की क्षमता लगभग पचास प्रतिशत बढ़ेगी। यह विकास ईरान की खाद्य सुरक्षा काे मजबूत करने और देश की आपूर्ति नेटवर्क का सहयाेग करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
रसूली ने चाबहार काे एक विशाल निर्माण स्थल करार दिया जहां पाेर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर लाजिस्टिक्स वेअरहाउसिंग और परिवहन सुविधाओं में बड़े निवेश हाे रहे हैं। उन्हाेंने चाबहार जाहेदान रेलवे नेटवर्क का भी जिक्र किया जाे बंदरगाह काे ईरान के राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जाेड़ेगा और अंतर्राष्ट्रीय ‘नार्थ साउथ ट्रांसपाेर्ट कारिडाेर’ (International North South Transport Corridor) (आईएनएसटीसी) में इसकी स्थिति मजबूत करेगा। ये परियाेजनाएं ईरान सरकार, भारतीय कंपनियाें और अंतर्राष्ट्रीय सहयाेग से चलेंगी।
गाैरतलब है कि भारत ने चाबहार के विकास के लिए पचास कराेड़ डालर का निवेश किया है जाे पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। भारत ने ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह पर शहीद बेहेश्ती टर्मिनल के संचालन और प्रबंधन के लिए मई 2024 में एक दशक की अवधि के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह बंदरगाह भारत काे पाकिस्तान के रास्ते से बचकर अफगानिस्तान, मध्य एशिया और यूराेप तक सीधी पहुंच प्रदान करता है। इसस भारत की व्यापारिक लागत और समय चालीस प्रतिशत तक कम हाे जाता है और भारत मध्य एशिया के तेल, गैस और कृषि उत्पादाें तक आसानी से पहुंच सकता है।



