जिस हाथ से की थी मित्र की हत्या, वह हाथ भी दुर्घटना में कटा
सूरत : कहते हैं कर्म बड़ा बलवान होता है और अपने किए की सजा व्यक्ति को जरूर मिलती है। सूरत में हत्या के मामले में पिछले 18 साल से छुप रहा आरोपित आखिरकार पुलिस के हत्थे तो चढ़ा लेकिन कर्म की सजा वह पहले से भोग चुका था। नाम और वेश बदल कर जीवन जी रहे हत्यारोपित का एक हाथ 10 वर्ष पूर्व एक हादसे में कट गया। उसके बाद वह वेश बदल कर अपने गांव में रह रहा था। पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर उसे पकड़ लिया।
सूरत में वेतन के मुद्दे पर अपने साथी मित्र की हत्या कर 18 साल से फरार आरोपित को पांडेसरा की पुलिस ने पकड़ा है। आरोपित हत्या कर भागने के बाद दो बार अपना नाम और वेष बदल चुका था, ऐसे में पुलिस को उसे खोज निकालना आसान नहीं था। 10 साल पूर्व एक सड़क हादसे में उसका एक हाथ कट गया था, इसके बाद वह साधु बनकर उत्तर प्रदेश के एक गांव में जीवन जी रहा था। पुलिस को इस संबंध में सूचना मिली तो आरोपित नारायण को दबोच लिया गया।
सूरत जिला पुलिस के डीसीपी विजयसिंह गुर्जर ने बताया कि वर्ष 2006 में सूरत के भेस्तान क्षेत्र में एक लोहे का सरिया (छड़) बनाने वाली कंपनी में वॉचमैन के रूप में काम करने वाले भोला कुर्मी के साथ वेतन के मामले में आरोपित नारायण सिंह उर्फ राजू उर्फ सौरभसिंह ब्रिजमोहन सिंह राजपूत का झगड़ा हुआ था। इस पर आरोपित नारायण ने आवेश में आकर भोला के सिर पर सरिया से वार कर दिया। भोला की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। पांडेसरा पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर आरोपित की तलाश शुरू की। हत्या के बाद आरोपित नारायण सिंह (उम्र 40 वर्ष, निवासी दंतोली गांव, ललौली, फतेपुर उत्तर प्रदेश) फरार हो गया। आरोपित के नहीं मिलने पर कोर्ट से सीआरपीसी की धारा 70 के तहत वारंट भी जारी किया गया।
नारायण के उसके मूल गांव में होने की सूचना पर पुलिस ने कई बार टीम उसके गांव भेजा लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। हाल के दिनों में एक बार फिर पुलिस को सूचना मिली कि आरोपित अपने मूल गांव में है, इस पर पुलिस ने फिर एक बार टीम बनाकर गांव में धावा बोला और उसे पकड़ लिया। पुलिस पूछताछ में आरोपित ने बताया कि वह पहले मुंबई गया और वहां से कानपुर चला गया। कानपुर में उसने अपना नाम राजू रख लिया और ड्राइविंग का काम करने लगा। वर्ष 2014 में रोड दुर्घटना में उसका बायां हाथ कट गया। इसके बाद वह वेश बदल कर साधु के रूप में रहने लगा था। पुलिस ने 18 साल बाद आरोपित को दबोचने में सफलता पाई।