जन्म कुंडली में सूर्य का प्रभाव और उसकी महादशा का संपूर्ण फल

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भाग 3

सूर्य की महादशा में राहु की अंतर्दशा –

क्योंकि सूर्य और राहु आपस में परस्पर शत्रु हैं और ग्रहण दोष बनाते हैं इसलिए यह समय जातक के लिए कठिन दौर होता है कोई आरोप लगता है राजनीतिक दंड प्राप्त होती है या नौकरी में हो तो उसे नौकरी में नुकसान की प्राप्ति होती है

सूर्य की महादशा में गुरु की अंतर्दशा – जातक के जीवन का सबसे अच्छा समय होता है और उसे पुनः पदोन्नति की प्राप्ति होती है या फिर राजनीतिक में उसका परचम दूर-दूर तक फैलता है

सूर्य की महादशा में शनि की अंतर्दशा – यह समय मिला जुला समय रहता है जातक को किसी से वैचारिक मतभेद की संभावना होती है या फिर किसी न किसी तनाव के कारण परेशान रहता है

सूर्य की महादशा में बुध की अंतर्दशा – जातक को बाहरी क्षेत्रों से लाभ प्राप्त होता है और जातक का आय का स्त्रोत एक से ज्यादा हो जाता है

सूर्य की महादशा में केतु की अंतर्दशा – यह काल छोटे समय का होता है किंतु जबरदस्त मानसिक तनाव का कारक होता है कोई भी नया कार्य नहीं करना चाहिए

सूर्य की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा – चुकी सूर्य अपने अंतिम चरण पर होता है तो अपनी पूरी ताकत जातक को सफल होने में लगा देता है सूर्य की महादशा केवल सफलता लिए ही आती है, अगर कुंडली में सूर्य कारक ग्रह हो

तमाम नवग्रहों में सूर्य की महादशा सबसे छोटी होती है, इसकी महादशा 6 वर्षों की होती है,

सूर्य सबसे तेज चलने वाला ग्रह है इसलिए 6 वर्ष की महादशा में है वह तमाम सुख दे देता है, जो 20 वर्षों में शुक्र, और 19 वर्षों में शनि ना दे सके, क्योंकि वह मंद गति से चलने वाला ग्रह है, जबकि सूर्य बहुत तेज चलता है, इसलिए अपनी महादशा में भी फल बहुत जल्दी-जल्दी देता है

अगर कुंडली में सूर्य बलवान हो तो माणिक रत्न अवश्य धारण करके रखना चाहिए।