Shimla : मेयर व डिप्टी मेयर का कार्यकाल बढ़ाने के फैसले पर अगली सुनवाई 27 नवंबर को

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शिमला : (Shimla) हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (The Himachal Pradesh High Court) में मंगलवार को नगर निगम शिमला के मेयर व डिप्टी मेयर के कार्यकाल को पांच वर्ष करने के राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने प्रदेश सरकार को जवाब दायर करने के लिए अंतिम अवसर देते हुए इस मामले की अगली सुनवाई 27 नवम्बर को तय की है।

याचिकाकर्ता की ओर से दायर याचिका में सरकार के हाल ही में जारी किए गए अध्यादेश को चुनौती दी गई है, जिसके तहत मेयर और डिप्टी मेयर का कार्यकाल ढाई वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष कर दिया गया है। याचिकाकर्ता ने अदालत से अंतरिम राहत के रूप में इस अध्यादेश के अमल पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने फिलहाल इस पर कोई अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया।

सुनवाई के दौरान नगर निगम शिमला के कुछ पार्षदों ने भी स्वयं को इस मामले में पक्षकार बनाए जाने का अनुरोध किया। याचिकाकर्ता ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई, जिसके बाद न्यायालय ने उनका आवेदन स्वीकार करते हुए उन्हें पक्षकार बना लिया।

मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज (Chief Justice Gurmeet Singh Sandhawalia and Justice Zia Lal Bhardwaj) की खंडपीठ ने सभी पक्षों को अपनी दलीलें और जवाब (प्लीडिंग्स) पूरी करने के आदेश दिए हैं। सुनवाई के दौरान अदालत को यह भी बताया गया कि मौजूदा मेयर का कार्यकाल 14 नवम्बर को पूरा हो रहा है, इसलिए उन्हें आगे काम करने से रोका जाए।

याचिका में कहा गया है कि शिमला नगर निगम में कुल 21 महिलाएं पार्षद के रूप में चुनी गई हैं और रोटेशन के हिसाब से अगले ढाई वर्ष के लिए मेयर का पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित होना है। इस बीच राज्य सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर मेयर का कार्यकाल बढ़ा दिया है, जिससे रोटेशन और आरक्षण का नियम प्रभावित हो सकता है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि 15 मई 2023 को शिमला नगर निगम के चुनाव हुए थे और 14 नवम्बर को मौजूदा मेयर का ढाई वर्ष का कार्यकाल पूरा हो रहा है। ऐसे में सरकार द्वारा जारी किया गया यह अध्यादेश लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप नहीं है।