सपनों को साकार करने के लिए जीवन में संघर्ष बहुत जरूरी है। फिर चाहे वह किसी भी क्षेत्र में क्यों न हो। आज इस लेख में हम आपको एक ऐसे बॉलीवुड सितारे के बारे में बताएंगे, जिसने सुनहरे पर्दे पर कदम रखने के लिए कई तरह के संघर्ष किए हैं। इस उभरते सितारे का नाम है संगम राय।
संगम राय ने कुछ समय पहले ही फिल्म ‘शहज़ादा’ से सिल्वर स्क्रीन पर दमदार दस्तक दिया है, जिसमें उनके काम को खूब सराहना मिली। इसके बाद उनकी फिल्म ‘पिंकी ब्यूटी पार्लर’ रिलीज़ हुई है, जिसकी स्क्रीनिंग कान फ़िल्मोत्सव के साथ विश्व भर के फिल्मोत्सवों में की गई। इस फिल्म में संगम भी अहम किरदार में हैं। इस फिल्म के सिलसिले में हमने संगम से बातचीत की और साथ ही जाना बॉलीवुड में उनके अब तक के सफर के बारे में।
बचपन से थी कला में दिलचस्पी
मैं यूपी के गाजीपुर का रहने वाला हूं और एक किसान परिवार से ताल्लुक रखता हूं। हमारे परिवार का मनोरंजन जगत से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। पर मुझे बचपन से ही कला के क्षेत्र में दिलचस्पी थी। स्कूल कॉलेज में गाना गाता था। इसके अलावा कई तरह के इवेंट्स में पार्टिसिपेट किया करता था।
लड़कियों के रोल ऑफर होते थे
बचपन में गांव में होने वाले नाटक में हिस्सा लिया करता था। पर कभी स्टेज पर काम नहीं किया, क्योंकि मुझे लड़कियों के रोल ऑफर होते थे। दरअसल गांव में स्टेज पर अभिनय के लिए लड़कियां नहीं मिलती थी। मैं इस रोल को करने से इंकार कर देता था, क्योंकि जब कोई सीता मां का किरदार निभाया था तो लोग उसे सीता मां के नाम से चिढ़ाने लगते थे। इसलिए मैं वहां एक्टिंग की बजाय लाइट्स का काम करने लगता।
बनारस के एक लोकल ग्रुप से जुड़ा
इंटर पूरा करने के बाद मैं अपने गांव यानी पिता के पास बनारस रहने आ गया। आर्ट के क्षेत्र में बनारस का काफी नाम है। इसलिए मैं यहां नाटक में काम करने के लिए एक लोकल ग्रुप में जुड़ गया। बी. कॉम. में ग्रेजुएशन करने के बाद मेरा परिवार चाहता था कि मैं एम. बी. ए. करूं या चार्टेड अकाउंटेंट बनूं। पर मेरा मन अभिनय की दुनिया में रमा था।

नाटक के लिए दिल्ली आ गया
नाटक के क्षेत्र में कदम रखने के लिए मैं बनारस से दिल्ली की ओर चल पड़ा। मैंने सुना था कि दिल्ली जैसे बड़े शहर में सबसे अच्छा नाटक होता है। इस बारे में मैंने घरवालों को कुछ नहीं बताया। दिल्ली आकर हेल्थ इंश्योरेंस में नौकरी की और साथ ही कुछ नाटक में भी काम करने लगा क्योंकि मुझे पैसों की जरूरत थी। पर कुछ दिनों बाद यहां मुझे नौकरी से निकाल दिया गया, क्योंकि उनकी वेबसाइट पर भी मैं सीखने के लिए नाटक देखा करता था। पर इसे मैंने नकारात्मक नहीं बल्कि सकारात्मक तरीके से लिया।
दूरदर्शन पर दी आवाज
नौकरी से निकाले जाने के बाद मैं दिल्ली के कुछ बड़े नाटक ग्रुप से जुड़ा। वहां के मशहूर नाटक गुरू के साथ जुड़कर काम किया और सीखा। इस दौरान मुझे दूरदर्शन के नाटकों में एक्टिंग करने का मौका मिला। इसके अलावा आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले ‘हवा महल’ के नाटक में भी आवाज देने का मौका मिला।
मुंबई की ओर बढ़े कदम
4-5 साल काम करने के बाद मैंने मुंबई में कदम रखने का मन बना लिया। 2012 में ट्रेनिंग खत्म करके मैं दिल्ली से मुंबई में आ गया। यहां आकर कुछ दोस्तों के साथ रहने लगा और जगह-जगह जाकर ऑडिशन देना शुरू किया। ट्रेंड आर्टिस्ट होने के कारण मुझे थोड़े बहुत काम भी मिल जाया करते थे।
सागर आर्ट्स से मिला पहला ब्रेक
ऑडिशन के दौरान मुझे सागर आर्ट्स में काम करने का मौका मिल गया। मेरी आवाज और हिंदी में अच्छी पकड़ ने उन्हें प्रभावित किया। सागर आर्ट्स के शो ‘जय जग जननी मां दुर्गा’ में मुझे चंद्र देव का किरदार करने को मिला। यह मेरे लिए खुशी का पल था क्योंकि बचपन से ही मैं रामानंद सागर के शोज देखता आया हूं। एड करने के बाद बतौर एक्टर टी. वी. पर यह मेरा पहला शो था। इस शो में लगभग मैंने एक साल काम किया। इसके बाद सहारा वन का शो ‘आखिर बहू भी तो बेटी ही है’ और सोनी टीवी का ‘विघ्नहर्ता गणेश’ में काम किया। इसके अलावा हाल ही में स्टार प्लस का टी.वी. शो ‘विद्रोही’ में काम किया।
टी.वी. पर देख परिवार वालों का रिएक्शन
शुरू में परिवार वालों ने विरोध किया था। पर काम मिलने के बाद सब बहुत खुश हो गएं। यहां तक कि मेरा पूरा गांव खुश था। सभी टी. वी. लगाकर मेरे शो का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही उन्होंने टीवी पर मुझे देखा तो खुशी से झूम उठे।
मिला नरेंद्र मोदी का किरदार
सीरियल के अलावा मैंने डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी की। यह डॉक्यूमेंट्री फिल्म पीएम नरेंद्र मोदी के जीवन पर आधारित थी, जिसका नाम 7 आरसीआर है। इसमें मैंने युवा नरेन्द्र मोदी का किरदार निभाया और इसके लिए मुझे खूब सराहना भी मिली। यहां तक कि पीएम के ऑफिस से एक पत्र आया, जिसमें मेरे काम की तारीफ की गई थी। इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म से मुझे काफी कुछ सीखने को मिला। यहां तक कि मैंने मोदी से धैर्य रखना सीखा फिर चाहे परिस्थिती कोई भी हो। आपको बता दूं कि यह डॉक्यूमेंट्री फिल्म एक न्यूज चैनल पर प्रसारित हुई थी।
सफलता के मायने
शुरू में काम मिलने पर काफी खुशी होती थी। पर अब चाहता हूं कि एक ऐसा रोल मिले, जो सिर्फ मेरे लिए बना हो। हाल ही में मेरी फिल्म ‘शहजादा’ और ‘पिंकी ब्यूटी पार्लर’ रिलीज हुई। हालांकि इस फिल्म के साथ मेरे काम को भी अच्छा रिस्पॉन्स मिला। पर मैं और आगे बढ़ना चाहता हूं और अपने काम को और भी बेहतर कर सकूं। जहां तक बात सफलता की है कि तो, मेरे लिए असली सफलता के मायने यही हैं कि मैं अपने घर और परिवार की जिम्मेदारी अच्छे से निभा सकूं।
आशुतोष राणा मिली ये सलाह
‘छत्रसाल’ में आशुतोष राणा जैसे दमदार कलाकार के साथ काम करने का मौका मिला। यह मेरे लिए एक अलौकिक अनुभव था। इस सीरियल में मेरे किरदार का नाम चंपत राय था, जो बाजीराव मस्तानी के दादा थे। आशुतोष राणा इसमें औरंगजेब के किरदार में थे। जब मैं उनसे मिला तो काफी प्रभावित हुआ। उनसे मुझे काफी कुछ सीखने को मिला। साथ ही उन्होंने मुझे यह टिप्स भी दिया कि तुम अच्छे हो और इसी तरह अपने काम में लगे रहो।
‘पिंकी ब्यूटी पार्लर’ टेक्नीकली पहली फिल्म है
हालांकि ‘पिंकी ब्यूटी पार्लर’ हाल ही में रिलीज हुई है, पर इसे बने 5 से 6 साल हो गए। इसके निर्देशक अक्षय सिंह को इस फिल्म के लिए मेरा लुक काफी पसंद आया। उन्हें एक ऐसे ही शख्स की तलाश थी, जो बनारस की पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखता हो। इसलिए एक ही मुलाकात में उन्होंने मुझे इस फिल्म के लिए फाइनल कर लिया। इस फिल्म को रिलीज होने में इसलिए समय लग गया, क्योंकि इसमें कोई बड़ा चेहरा नहीं था। पर आजकल लोगों को कंटेंट पसंद आता है। यही वजह है कि ‘पिंकी ब्यूटी पार्लर’ जैसी फिल्म को लोग काफी पसंद कर रहे हैं। रंगभेद जैसे विषय पर बनी यह फिल्म लोगों को एक संदेश देती है। इस फिल्म मेरे किरदार का नाम सुमित है, जो बहुत ही महत्वपूर्ण कैरेक्टर में है। कान्स, मेलबर्न, मामी जैसे कई फिल्म फेस्टिवल में इसकी स्क्रीनिंग हुई और क्रिटिक्स से सराहना भी मिली।
एक्टिंग जितना सीखा जाए उतना कम है
मैं अभी भी रंगमंच कर रहा हूं और मुंबई के टॉप थियेटर ग्रुप ‘अंक’ से जुड़ा हुआ हूं। इसके साथ ही अपनी प्रैक्टिस रंगमंच पर करता हूं। वहां मेरे कई गुरू हैं, जो मेरे स्किल को सुधारने में मेरी मदद करते हैं। आपको बता दूं कि एक्टिंग ऐसी कला है, जिसे पूरी जिंदगी सीखा जाए तो भी कम है।
लोगों का प्यार अच्छा लगता है
जब बाहर जाता हूं और लोग मुझे मेरे काम से पहचानते हैं, तब बेहद खुशी होती है। जब लोगों से सम्मान मिलता है तो अच्छा लगता है। इसके लिए मैं ईश्वर का शुक्रिया अदा करूंगा कि उन्होंने मुझे इस काबिल बनाया है, जिससे लोग मुझे प्यार करने लगे हैं।
ऐसे रहता हूं मेंटली और फिजिकली फिट
खुद को मेंटली फिट रखने के लिए मैं पूजा-पाठ करता हूं। बनारस से होने के कारण मैं भगवान शिव की पूजा करता हूं। इसके साथ ही जॉगिंग और वॉक करके को फिजिकली खुद को फिट रखने की कोशिश करता हूं। जहां तक डाइट की बात की जाए तो मैं वेजिटेरियन हूं। दाल, चावल, रोटी, सब्जी और सलाद ही लेता हूं और वह भी घर का बना हुआ। बाहर का खाना मुझे नहीं पसंद और यह हेल्दी भी नहीं होता है।
जब निराश या खुश होता हूं
जब निराश होता हूं, तो शांत हो जाता हूं। ईश्वर को याद करता हूं। उनसे प्रार्थना करता हूं कि ये समय निकल किसी भी तरह निकल जाए। जब खुश होता हूं तो परिवार के साथ समय बिताना अच्छा लगता है।
सबसे चैलेंजिंग रोल
मेरे लिए युवा नरेंद्र मोदी का किरदार निभाना चैलेंजिंग लगा। दरअसल यह एक ऐसा किरदार है जिसे पूरी दुनिया जानती है। ऐसे में मुझे इस किरदार में ढलने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी थी, ताकि कहीं से लोगों को ये फेक न लगे। इसके लिए मैंने वर्कआउट और पीएम मोदी के वॉइस टेक्सचर पर काम किया। यह वाकई में मेरे लिए चैलेंजिंग था। पर यह मेहनत तब रंग लाई जब इसके लिए मुझे खूब तारीफ मिली।
पसंदीदा अभिनेता
मुझे इरफान पठान बेहद पसंद थे। मैं उनके साथ काम करना चाहता था पर कभी मौका नहीं मिला। उनसे मैं काफी प्रेरित था। इसके अलावा मुझे बचपन से अजय देवगन पसंद हैं। मैंने पहली बार सिनेमाघर में उनकी फिल्म ‘कच्चे धागे’ देखी थी। भविष्य में मैं उनके साथ काम करना चाहता हूं।
अपकमिंग प्रोजेक्ट
जल्द ही मेरी वेब सीरीज ‘सुल्तान ऑफ दिल्ली’ रिलीज होने वाली है। इसका निर्देशन मिलन लुथरिया ने किया है। इसकी शूटिंग कम्पलीट हो गई है। इसमें विनय पाठक, ताहिर राज भसीन और मौनी रॉय भी लीड रोल में नजर आएंगी। यह वेब सीरीज इस साल रिलीज हो जाएगी। इसके अलावा और कई प्रोजेक्ट हैं, जिसे लेकर बातचीत चल रही है।
लेखिका- नीलम चौहान



