मैं लाख कह दूं कि आकाश हूं ज़मीं हूं मैं
मगर उसे तो ख़बर है कि कुछ नहीं हूं मैं
अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझ को
वहाँ पे ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूं मैं
मैं आइनों से तो मायूस लौट आया था
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूं मैं
वो ज़र्रे ज़र्रे में मौजूद है मगर मैं भी
कहीं कहीं हूं, कहीं नहीं हूं मैं
वो इक किताब जो मंसूब तेरे नाम से है
उसी किताब के अंदर कहीं कहीं हूं मैं
सितारो आओ मिरी राह में बिखर जाओ
ये मेरा हुक्म है हालाँकि कुछ नहीं हूं मैं
ये बूढ़ी क़ब्रें तुम्हें कुछ नहीं बताएंगी
मुझे तलाश करो दोस्तो यहीं कहीं हूं मैं
राहत इंदौरी
राहत इन्दौरी एक भारतीय उर्दू शायर और हिंदी फिल्मों के गीतकार थे। वे देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में उर्दू साहित्य के प्राध्यापक भी रहे। 11 अगस्त 2020 को उनका निधन हो गया।