पूर्णिया : पूर्णिया के रुपौली विधायक बीमा भारती के राष्ट्रीय जनता दल में शामिल होते ही कई तरह की चर्चाएं होने लगी है, जितनी तरह की जुबान उतनी तरह की बातें हो रही है। रुपौली विधानसभा क्षेत्र में लगातार बीमा भारती किसी ने किसी रूप में बड़ी लकीर खींचती रही है।
बीमा भारती वर्ष 2000 में निर्दलीय विधायक, 2005 में राजद से विधायक, 2010 में जदयू, 2015 में जदयू एवं 2020 में जदयू से विधायक बनती रही हैं। छः बार के विधायक चुनाव में पांच बार चुनाव जीतीं तथा एक बार 2005 में शंकर सिंह से हारीं। इनका राजनीतिक टकराव हमेशा ही पूर्व विधायक शंकर सिंह एवं बिहार की मंत्री लेसी सिंह से होतस देखा गया है।
जदयू से राजद में जाने का मुख्य कारण उन्हें मंत्री नहीं बनाया जाना तथा धमदाहा विधायक लेसी सिंह को मंत्री बनाया जाना बताया जा रहा है। फ्लोर टेस्ट के दौरान हुई राजनीतिक उठा-पटक में बीमा भारती के पति अवधेश मंडल एवं उनके पुत्र की गिरफ्तारी के बाद भी वह काफी दुखी थी।
पांच बार विधायक रहनेवाली पूर्व मंत्री बीमा भारती द्वारा जदयू के साथ 14 सालों तक रहने के बाद कुछ ही क्षणों में राजद के साथ चले जाने को लेकर कई तरह के कयास लगाये जा रहे । लोगों की नजर में अब बीमा भारती उंची उड़ान के ख्वाब देखने लगी हैं तथा वह राजद की टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ सकती हैं ।
बीमा भारती 2000 में महज 18.72 प्रतिशत यानि 20224 मत पाकर पहली बार निर्दलीय विधायक के रूप में चुनाव जीती थीं । उन्हें सबसे ज्यादा मत 2010 में 46.63 प्रतिशत यानि 64887 मत मिले थे । 22 सालों में मात्र एकबार कुछ माह को छोड दें तो वह लगातार विधायक हैं । 2005 में लोजपा के पूर्व विधायक शंकर सिंह से चुनाव हारी थीं, फिर उसके बाद उन्होंने मुड़कर नहीं देखा है । निर्दलीय होने के बाद भी वह राजद के शासनकाल में उसके समर्थन में रहीं, परंतु 2010 में राजद को कमजोर होते देख वह जदयू का दामन थाम लीं तथा तब से अबतक लगातार तीन बार चुनाव जीतती रही हैं ।
बताया जाता है कि बीमा भारती हमेशा ही मंत्री बनने का ख्वाब देखती रही हैं तथा मंत्री भी बनी हैं, परंतु वह धमदाहा विधायक लेसी सिंह को कदापि मंत्री या विधायक पद पर देखना नहीं चाहती हैं । कुछ इसी कारण वह हमेशा ही धमदाहा क्षेत्र में जाकर लेसी सिंह की राजनीति में हस्तक्षेप करती दिख जाती रही हैं । ठीक इसी तरह शंकर सिंह से भी वह एलर्जी रखती हैं । इसके पीछे मुख्य कारण बताया जाता है कि एक बार छोड दें तो, शंकर सिंह यहां दूसरे नंबर पर हमेशा दिखाई पडते हैं, जिससे उन्हें भय बना रहता है कि पता नहीं कब शंकर सिंह उन्हें मात दे दे ।
मंत्री बनने के लिए वह हमेशा ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर राजद में चले जाने की छड़ी चमकाती रही हैं । पिछले विधायक चुनाव में भी उनके तथा उनके पति अवधेश मंडल द्वारा राजद का दामन थामने की चर्चा होती रही थी, जिससे उनका टिकट मुश्किल में पड़ गया था, यद्यपि अंतिम दौर में उन्हें जदयू से टिकट मिल गई थी। इस बार फ्लोर टेस्ट में उनकी स्थिति संदिग्ध होने के कारण उनपर तलवार तभी लटक गई थी कि वह मंत्री नहीं बन सकती हैं । कुछ इसी का कारण माना जाता है कि उनके पति एवं पुत्र की गिरफ्तारी हुई थी । तभी से बताया जाता है कि उनका मन जदयू से पूरी तरह से उब गया था कि इसमें रहने से कोई फायदा नहीं है । यूं कहें कि वह विधायक पद से उब-सी गई हैं, अब वह उंचा ख्वाब देखने लगी हैं ।