आलोक गुप्ता
प्रयागराज : उप कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) गोपालदास गुप्ता ने कोहरे को देखते हुए आलू उत्पादकों को झुलसा की बीमारी से बचाव के लिए सजग रहने की अपील की है। गोपालदास गुप्ता ने बताया कि शीतलहर के दौरान कोहरा अधिक होने पर आलू की फसल में झुलसा रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में नियमित निगरानी के जरिए आलू की अगैती और पिछैती फसलों को झुलसा रोग से बचाया जा सकता है।
गोपालदास गुप्ता ने बताया कि अगैती फसलों में झुलसा रोग के लक्षण पत्ती एवं कंद, दोनों पर दिखाई देते हैं। बीमारी के शुरुआत में जहां पुरानी एवं निचली पत्तियों में गोल एव अंडाकार भूरे धब्बे दिखाई देते हैं वहीं प्रभावित कंदों पर दबे हुए धब्बे दिखाई देते हैं, जिनका निचला हिस्सा शुष्क और भूरे रंग का हो जाता है। बीमारी की रोकथाम के लिए आवश्यक है कि अवरोधी किस्मों का चयन किया जाए और बीमारी लग जाने पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 डब्ल्यूपी की 2.5 किग्रा मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए।
बताया कि पिछैती फसलों में फफूंद से लगने वाली यह आलू की बहुत ही खतरनाक बीमारी है। बदलीयुक्त (बादल) मौसम के साथ तापमान में गिरावट होने से इस बीमारी की आशंका प्रबल हो जाती है। बीमारी की शुरुआत, पत्तियों में अनियमित आकार के गहरे रंग के धब्बे से होती है, जिनका फैलाव इतना तीव्र होता है कि कुछ ही समय में पूरी फसल जली हुई दिखाई देती है। जहां इसका प्रकोप आलू की पत्ती, तने व कंद पर होता हैं। वहीं उत्पाद भी कम हो जाता है। ऐसा लक्षण दिखने पर सिंचाई बंद कर दें। अति आवश्यक होने पर ही हल्की सिंचाई करें। उपचार के लिए जिनेब 75% डब्ल्यूपी या मैनकोज़ेब 75% डब्ल्यूपी में से किसी एक की 2.5 किग्रा मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए।
उप कृषि निदेशक ने बताया कि किसान भाई फसल सुरक्षा के लिए किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए कृषि विभाग के व्हाट्सप नंबर 9452247111, 9452257111 अथवा 9415592498 पर भी संपर्क कर सकते हैं।