अलीगढ़ के याची को भगवान शिव के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने पर राहत देने से इंकार
प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पर भगवान शिव के बारे में अपमान जनक टिप्पणी करने के आरोपी ओवैस खान को राहत देने से इंकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि याची की ओर से जानबूझ कर किया गया धार्मिक अपमान है। लिहाजा, आपराधिक मामले को रद्द नहीं किया जा सकता है। क्योंकि, अभिव्यक्ति की आजादी को दूसरों की भावनाओं और विश्वासों के सम्मान से परे नहीं किया जा सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने अलीगढ़ के ओवैश खान की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।
पीठ ने कहा कि विभिन्न समुदायों की धार्मिक मान्यताओं के प्रति सम्मान बनाए रखना सबका कर्तव्य है। इस तरह के आचरण को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। अदालतें नागरिकों की धार्मिक भावनाओं को अधिक महत्व देती है। ऐसी भावनाओं को अपमानित करने का कार्य सहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के साथ बहुलवादी समाज के पोषित मूल्यों का गम्भीर अपमान है। यह लोकतंत्र की भावना को भी कमजोर करता है।
आरोपी पर भगवान शिव के खिलाफ सोशल मीडिया पर गलत टिप्पणी कर वायरल करने का आरोप है। उसके खिलाफ अलीगढ़ के छर्रा थाने में आईपीसी की धारा 153-ए, 295-ए और सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम की धारा छह के तहत प्राथमिकी दर्ज है। पुलिस ने जांच कर दो सितम्बर 2022 को आरोप पत्र दाखिल किया था। ट्रायल कोर्ट ने समन जारी किया तो याची ने उसे रद्द की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी।