
पांच जोड़ बांसुरी
वासंती रात के विह्वल पल आखिरी
पर्वत के पार से बजाते तुम बांसुरी
पांच जोड़ बांसुरी
वंशी स्वर उमड़-घुमड़ रो रहा
मन उठ चलने को हो रहा
धीरज की गांठ खुली लो लेकिन
आधे अंचरा पर पिय सो रहा
मन मेरा तोड़ रहा पांसुरी
पांच जोड़ बांसुरी
ठाकुर प्रसाद सिंह
जन्म: 01 दिसम्बर 1924 वाराणसी (उ.प्र.) प्रमुख कृतियां वंशी और मादल, महामाय (प्रबंधकाव्य), हारी हुई लड़ाई लड़ते हुए (कविता-संग्रह)।