spot_img
Homepoemपांच जोड़ बांसुरी

पांच जोड़ बांसुरी

पांच जोड़ बांसुरी
वासंती रात के विह्वल पल आखिरी
पर्वत के पार से बजाते तुम बांसुरी
पांच जोड़ बांसुरी

वंशी स्वर उमड़-घुमड़ रो रहा
मन उठ चलने को हो रहा
धीरज की गांठ खुली लो लेकिन
आधे अंचरा पर पिय सो रहा

मन मेरा तोड़ रहा पांसुरी
पांच जोड़ बांसुरी

ठाकुर प्रसाद सिंह

जन्म: 01 दिसम्बर 1924 वाराणसी (उ.प्र.) प्रमुख कृतियां वंशी और मादल, महामाय (प्रबंधकाव्य), हारी हुई लड़ाई लड़ते हुए (कविता-संग्रह)।

spot_imgspot_imgspot_img
इससे जुडी खबरें
spot_imgspot_imgspot_img

सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली खबर