
तुम्हें हिमालय कहने वाले
जब इसकी कीमत माँगेंगे,
दे पाओगे?
संबोधन के वशीकरण से
पहले उपाधिस्थ कर देंगे,
फिर बाजारों की प्रतिमा के
नीचे समाधिस्थ कर देंगे,
उसके बाद सफ़ल अभिनय के
पक्षों में अभिमत माँगेंगे,
दे पाओगे?
अलंकार देकर विकार पर
परत चढ़ा देंगे चंदन की,
उसके ऊपर इत्र छिड़ककर
रस्म करेंगे अभिनंदन की,
फिर खुशबू के मधुर देश की
सारी धन दौलत माँगेंगे,
दे पाओगे?
छोटे पंखों पर सपनों का
जब दबाव भी दूना होगा,
तुम्हें झूठ के गुब्बारे पर
चढ़कर नभ को छूना होगा
उस से पहले चंदा सूरज
अनुशंसा के खत माँगेंगे,
दे पाओगे??
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प्रमोद पवैया