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New Delhi : स्वदेशी एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम के उत्पादन का रास्ता साफ

फायरिंग से जुड़े आकलनों ​की समीक्षा ​में खरी उतरी टोड आर्टिलरी गन- सेना ने टेंडर जारी करके 400 होवित्जर खरीदने ​की प्रक्रिया शुरू कर दी
नई दिल्ली : (New Delhi)
एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (Advanced Towed Artillery Gun System) (एटीएजीएस) परीक्षण ​में फायरिंग से जुड़े आकलनों ​की समीक्षा ​में भी पूरी तरह खरी उतरी है।​ उत्पादन का रास्ता साफ ​होने के बाद अब भारतीय सेना इन तोपों को अपने शस्त्रागार में शामिल करने को तैयार है।​ इसीलिए सेना ने 400 टोड आर्टिलरी गन सिस्टम के लिए टेंडर जारी ​करके निर्माण करने के लिए भारतीय कंपनि​यों को आमंत्रित किया है, जो भारत में विकसित ​और डिजाइन की गई निर्मित बंदूकें पेश करेंगी।रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भारतीय सेना में पुरानी तोपों को बदलने के लिए पूरी तरह स्वदेशी आधुनिक 155 मिमी. आर्टिलरी गन की परियोजना 2013 में शुरू की थी। विकास परीक्षण पूरे होने के बाद सितम्बर, 2020 में उपयोगकर्ता परीक्षण के दौरान राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में तोप की एक बैरल फट​ गई थी, जिसकी जांच के बाद आगे के परीक्षणों के लिएनवम्बर, 2020 में मंजूरी मिलने के बाद भारतीय सेना ने एटीएजीएस के परीक्षण ​पूरे किये। ​इस दौरान टैंक के आकार और लक्ष्यों पर दिन-रात की फायरिंग, पांच राउंड बस्ट के लिए परीक्षण, लगभग तीन मिनट में 15 राउंड की रैपिड-फायर दर और हर घंटे 60 राउंड की निरंतर फायरिंग क्षमता आंकी गई। इस दौरान रेगिस्तान में रेत के टीलों पर नेविगेशन के साथ और 70 सड़कों पर हाई-स्पीड ट्रायल हुए हैं। एटीएजीएस के विकास और सेना के परीक्षण​ पूरे होने के बाद अब इनके उत्पादन का रास्ता साफ हो गया है।​ भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट 155 मिमी/52 कैलिबर टोड गन सिस्टम का उत्पादन करना चाहती है, ​जिससे भविष्य की जरूरतें ​पूरी की जा सकें।​ ​चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर अपनी जरूरतों ​को पूरा करने के लिए भारतीय सेना ने भारतीय फर्मों से 400 होवित्जर खरीदने ​की प्रक्रिया शुरू कर दी है।​ सेना ने भारत फोर्ज, लार्सन एंड टुब्रो, अडानी​ डिफेंस और आयुध निर्माणी बोर्ड​ के लिए टोइंग वाहनों के साथ एटीएजीएस​ खरीदने के लिए निविदा जारी की है। भारत में डिजाइन, विकसित और निर्मित होवित्जर का मतलब है कि यह ​तोप पूरी तरह से​ स्वदेशी होगी। ​दरअसल, सेना चाहती है कि ये तोपें वजन में हल्की हों और पुरानी बोफोर्स तोपों की तरह ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात करने में आसान हों। स्वदेशी तोपों​ की खरीद प्रक्रिया वर्ष 2042 तक​ पूरी होने की संभावना है। ​इन तोपों की उपयोगिता अपने पड़ोसी अजरबैजान से आत्मरक्षा में ​लगे आर्मेनिया​ को भी पसंद आई है। ​उसने भारत से​ पिछले साल 06 एटीएजीएस खरीदने के बाद ​इसी साल मार्च में 84 गन के दूसरे बड़े बैच का ऑर्डर दिया है। अब आर्मेनियाई सेना के पास 90 एटीएजीएस हो जाएंगी। भारत स्वदेशी हथियारों का निर्यात बढ़ाने के लिए विदेशी ऑर्डर हासिल करने के लगातार प्रयास कर रहा है।

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