spot_img
HomelatestNew Delhi : वक्फ का प्रमुख पहलू धार्मिक नहीं बल्कि संपत्ति-केंद्रित प्रशासन...

New Delhi : वक्फ का प्रमुख पहलू धार्मिक नहीं बल्कि संपत्ति-केंद्रित प्रशासन : अल्पसंख्यक मंत्रालय

नई दिल्ली : (New Delhi) अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का कहना है कि भारत में वक्फ प्रणाली को लंबे समय से धार्मिक चश्मे से देखा जाता रहा है। वक्फ का प्रमुख पहलू इसके धार्मिक अर्थों में नहीं बल्कि इसके संपत्ति-केंद्रित प्रशासन में निहित है।

मंत्रालय के अनुसार कानूनी प्रावधानों, न्यायिक व्याख्याओं और नीतिगत विकास की एक नजदीकी जांच यह स्पष्ट करती है कि वक्फ मुख्य रूप से धार्मिक अभ्यास के बजाय संपत्ति प्रबंधन, प्रशासन और शासन का मामला है। वक्फ अधिनियम, 1995 बाद के संशोधनों के साथ, वक्फ संपत्तियों के विनियमन, उनके उचित प्रशासन और उपयोग को सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। वक्फ अधिनियम, 1995, वक्फ को इस्लामी कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त उद्देश्यों के लिए मुस्लिम व्यक्ति द्वारा चल या अचल संपत्ति के स्थायी समर्पण के रूप में परिभाषित करता है। हालांकि, वक्फ का प्रमुख पहलू इसके धार्मिक अर्थों में नहीं बल्कि इसके संपत्ति-केंद्रित प्रशासन में निहित है।

वक्फ अधिनियम की धारा 96 केंद्र सरकार को सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक और कल्याणकारी मामलों को कवर करते हुए वक्फ संस्थानों की धर्मनिरपेक्ष गतिविधियों को विनियमित करने का स्पष्ट रूप से अधिकार देती है।

केंद्रीय वक्फ परिषद (Central Waqf Council) (सीडब्ल्यूसी) और राज्य वक्फ बोर्ड (एसडब्ल्यूबी) संरक्षक और नियामक के रूप में कार्य करते हैं, वक्फ प्रबंधन में पारदर्शिता और कानूनी अनुपालन सुनिश्चित करते हैं। भारतीय अदालतों ने लगातार इस बात पर जोर दिया है कि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन एक धर्मनिरपेक्ष कार्य है, जो धार्मिक प्रथाओं से अलग है।

कई मामले इस सिद्धांत की पुष्टि करने में महत्वपूर्ण मिसाल के रूप में काम करते हैं, जिनमें शामिल हैं:

सैयद फजल पूकोया थंगल बनाम भारत संघ (केरल उच्च न्यायालय, 1993): निर्णय में स्पष्ट किया गया कि वक्फ बोर्ड एक वैधानिक निकाय है, न कि मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधि। इसकी प्राथमिक भूमिका वक्फ संपत्तियों के उचित प्रशासन को सुनिश्चित करना है।

हाफिज मोहम्मद जफर अहमद बनाम यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड (Hafiz Mohammad Zafar Ahmad vs UP Central Sunni Waqf Board) (इलाहाबाद उच्च न्यायालय): अदालत ने फैसला सुनाया कि वक्फ संपत्ति में एक मुतवल्ली (वक्फ प्रशासक) का कोई मालिकाना हित नहीं है, जिससे यह पुष्ट होता है कि वक्फ प्रशासन पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष है।

तिलकायत श्री गोविन्दलालजी महाराज बनाम राजस्थान राज्य (सर्वोच्च न्यायालय, 1964):

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मंदिर की संपत्तियों का प्रबंधन एक धर्मनिरपेक्ष कार्य है, जो वक्फ संपत्तियों पर लागू एक मिसाल कायम करता है। भारत में वक्फ संपत्ति प्रबंधन कुप्रबंधन, अतिक्रमण और पारदर्शिता की कमी से ग्रस्त है। वामसी पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, 58,898 से अधिक वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण है।

कई मामले वक्फ भूमि के दुरुपयोग और अवैध अधिग्रहण को उजागर करते हैं:

बिहार के गोविंदपुर में (अगस्त 2024) बिहार सुन्नी वक्फ बोर्ड (Bihar Sunni Waqf Board) ने एक पूरे गांव के स्वामित्व का दावा किया, जिससे कानूनी लड़ाई हुई। केरल में (सितंबर 2024) लगभग 600 ईसाई परिवारों ने अपनी पैतृक भूमि पर वक्फ बोर्ड के दावे का विरोध किया। सूरत नगर निगम मुख्यालय को सरकारी भवन होने के बावजूद मनमाने ढंग से वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया।

ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जहां गैर-मुस्लिम संपत्तियों को मनमाने ढंग से वक्फ की संपत्ति घोषित किया गया था, जिससे अनियंत्रित प्रशासनिक शक्ति के बारे में चिंता बढ़ गई थी:

तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने पूरे तिरुचेंथुराई गांव पर दावा किया, जिससे निवासियों के संपत्ति अधिकार प्रभावित हुए। 132 संरक्षित स्मारकों को उचित दस्तावेज के बिना वक्फ संपत्तियों के रूप में घोषित किया गया था।

इन चुनौतियों को स्वीकार करते हुए, वक्फ प्रशासन में अधिक स्पष्टता और पारदर्शिता लाने के लिए वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया गया था। प्रमुख प्रावधानों में शामिल हैं:

धारा 40 का उन्मूलन, जिसने वक्फ बोर्डों को एकतरफा किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित करने की अनुमति दी। वक्फ अभिलेखों का डिजिटलीकरण, बेहतर संपत्ति ट्रैकिंग को सक्षम करना और अवैध दावों को कम करना। विवादों का समय पर समाधान सुनिश्चित करने के लिए वक्फ न्यायाधिकरणों को सुदृढ़ करना। जवाबदेही बढ़ाने के लिए वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना है।

वक्फ प्रणाली, जबकि ऐतिहासिक रूप से धार्मिक बंदोबस्ती है, भारतीय कानून के तहत एक संपत्ति प्रबंधन इकाई के रूप में कार्य करती है। वक्फ को नियंत्रित करने वाला कानूनी ढांचा, न्यायिक फैसले और प्रशासनिक संरचनाएं इसकी धर्मनिरपेक्ष प्रकृति को रेखांकित करती हैं। वक्फ प्रबंधन में चुनौतियों का समाधान करने के लिए व्यवस्थित सुधारों की आवश्यकता है, जैसा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 में प्रस्तावित है। पारदर्शिता, जवाबदेही और कानूनी निरीक्षण सुनिश्चित करके, वक्फ संपत्तियां गैर-मुसलमानों और अन्य हितधारकों के अधिकारों का उल्लंघन किए बिना अपने इच्छित धर्मार्थ उद्देश्यों की पूर्ति कर सकती हैं।

spot_imgspot_imgspot_img
इससे जुडी खबरें
spot_imgspot_imgspot_img

सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली खबर