नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से पूछा है कि वोटर लिस्ट से डुप्लीकेट नामों को हटाने की क्या प्रक्रिया है और वो कैसे निर्धारित करता है कि एक नाम की प्रविष्टि की गई है, वह डुप्लीकेट प्रविष्टि है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने निर्वाचन आयोग से पूछा कि चुनाव आयोग को कैसे पता चलता है कि एक मतदाता की मृत्यु हो गई है।
सुनवाई के दौरान आज चुनाव आयोग की ओर से पेश वकील अमित शर्मा ने कोर्ट को बताया कि हमने एक करोड़ से ज्यादा लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए हैं। इनमें मृत और डुप्लीकेट वाले नाम भी शामिल हैं जबकि दो करोड़ से ज्यादा नए वोटर जुड़े हैं, जिनमें नए वोटर भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि बिना वैध प्रक्रिया के किसी का भी नाम नहीं हटाया जा सकता है। हम सारी प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि वोटरों के डुप्लीकेशन और उनका डिलिशन अभी भी हो रहे हैं। यह अधिकारों का दुरुपयोग है, जिस पर रोक लगनी चाहिए।