नई दिल्ली : भारत की स्टार जिम्नास्ट दीपा कर्माकर ने महज 31 साल की उम्र में जिम्नास्टिक को अलविदा कह दिया है। स्टार एथलीट ने सोमवार को सोशल मीडिया पर एक लंबी भावुक पोस्ट लिखकर अपने संन्यास की घोषणा कर दी।
दीपा कर्माकर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि बहुत सोचने के बाद मैंने ये फैसला लिया है कि मैं जिम्नास्टिक से रिटायर हो रही हूं। ये फैसला मेरे लिए आसान नहीं था लेकिन यही सही वक्त है। जिमनास्टिक्स मेरी जिंदगी का एक बहुत बड़ा हिस्सा है। मैं हर पल इसके लिए बहुत आभारी हूं।
उन्होंने आगे लिखा कि मुझे वो पांच साल की दीपा याद आती है, जिसको बोला था कि उसके सपाट पैर की वजह से वो कभी जिम्नास्ट नहीं बन सकती। आज मुझे अपनी उपलब्धियों को देखकर गर्व होता है। भारत का विश्व स्तर पर प्रतिनिधित्व करना और मेडल जीतना, और सबसे विशेष रियो ओलंपिक में प्रोडुनोवा वॉल्ट प्रदर्शन करना, मेरे करियर का सबसे यादगार पल रहा है।
अब आराम करने का समय आ गया है
दीपा कर्माकर ने आगे लिखा कि आज मुझे उस दीपा को देखकर बहुत खुशी होती है, क्योंकि उसने सपने देखने की हिम्मत रखी। मेरी आखिरी जीत ताशकंद में एशियन जिम्नास्टिक्स चैंपियनशिप, एक टर्निंग प्वाइंट था, क्योंकि तब तक मुझे लगा कि मैं अपने शरीर को और पुश कर सकती हूं लेकिन कभी-कभी हमारा शरीर हमें बताता है कि अब आराम करने का समय आ गया है, लेकिन दिल अभी भी नहीं मानता।
दीपा ने समर्थन के लिए दिया धन्यवाद
31 वर्षीय खिलाड़ी ने आगे कहा कि मैं अपने कोच बिश्वेर नंदी सर और सोमा मैम को धन्यवाद बोलना चाहती हूं, जिन्होंने मुझे पिछले 25 साल से गाइड किया और मेरी सबसे बड़ी ताकत बने। मुझे जो समर्थन मिला उसके लिए त्रिपुरा सरकार, जिम्नास्टिक्स महासंघ, भारतीय खेल प्राधिकरण, गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन और मेराकी स्पोर्ट्स एंड एंटरटेनमेंट को बहुत धन्यवाद देना चाहती हूं। अंत में मेरे परिवार को जो हमेशा मेरे साथ थे, मेरे अच्छे और बुरे दिनों में।
जिम्नाटिक्स से रिश्ता कभी नहीं टूटेगा
दीपा ने आखिर में लिखा कि मैं भले ही संन्यास ले रही हूं, लेकिन जिम्नाटिक्स से मेरा रिश्ता कभी नहीं टूटेगा। मैं चाहती हूं कि मैं इस खेल को कुछ वापस दे सकूं। शायद मेंटर, कोच, मेरे जैसे और बाकी लड़कियों का समर्थन करके। एक बार फिर मेरे सफर का हिस्सा बनने के लिए सभी का धन्यवाद।
दीपा कर्माकर की उपलब्धियां
दीपा कर्माकर ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाली पहली भारतीय महिला जिमनास्ट हैं। उन्होंने रियो ओलंपिक 2016 में दमदार प्रदर्शन किया था लेकिन वो चौथे नंबर पर रहकर पदक जीतने से चूक गई थीं। दीपा रियो ओलंपिक की वॉल्ट स्पर्धा में सिर्फ 0.15 अंक से कांस्य पदक जीतने से चूक गई थीं। 2018 में उन्होंने तुर्की के मर्सिन में एफआईजी आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक्स वर्ल्ड चैलेंज कप की वॉल्ट स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था। ऐसा करने वाली वह भारत की पहली जिम्नास्ट बनी थीं। उन्होंने एशियन जिम्नास्टिक चैंपियनशिप 2024 में भी स्वर्ण पदक अपने नाम किया है। इसके अलावा भी उन्होंने कई और बड़े इवेंट में देश का नाम रोशन किया है। दीपा को 2016 में खेल रत्न अवॉर्ड भी मिला था। इसके अगले ही साल यानी 2017 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।