NEW DELHI : वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में कचरा फैलने से रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय संधि की मांग की

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NEW DELHI: Scientists call for an international treaty to prevent the spread of space debris

नयी दिल्ली : (NEW DELHI) वैज्ञानिक वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग के विस्तार की दर को देखते हुए कानूनी रूप से बाध्य संधि की मांग कर रहे हैं ताकि पृथ्वी की कक्षा को अपूरणीय क्षति न पहुंचायी जाए कई सामाजिक और पर्यावरणीय फायदे उपलब्ध कराने के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन ऐसी आशंका है कि अंतरिक्ष उद्योग की अनुमानित वृद्धि पृथ्वी की कक्षा के बड़े हिस्सों को अनुपयोगी बना सकती है।

पृथ्वी की कक्षा में उपग्रहों की संख्या आज के 9,000 से बढ़कर 2030 तक 60,000 तक पहुंच सकती है। ऐसा अनुमान है कि पुराने उपग्रहों के 100 लाख करोड़ से अधिक टुकड़े इस ग्रह का चक्कर लगा रहे हैं, जिनका अभी पता नहीं लगाया जा सका है।उपग्रह प्रौद्योगिकी और समुद्र में प्लास्टिक प्रदूषण समेत विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित विशेषज्ञों के एक अंतरराष्ट्रीय संघ ने कहा कि इस पर तत्काल वैश्विक सर्वसम्मति बनाने की आवश्यकता जान पड़ती है कि पृथ्वी की कक्षा को कैसे बेहतर तरीके नियंत्रित किया जाए।उन्होंने पत्रिका ‘साइंस’ में अपनी चिंता व्यक्त की है।

विशेषज्ञों ने यह माना कि कई उद्योग और देश उपग्रह संवहनीयता पर ध्यान देना शुरू कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इसे हर देश को पृथ्वी की कक्षा का इस्तेमाल करने की योजनाओं में शामिल करना चाहिए।उन्होंने कहा कि किसी भी समझौते में उपग्रहों और मलबे के लिए उत्पादक तथा ग्राहक की जिम्मेदारी को लागू करने के उपाय भी शामिल होने चाहिए।उन्होंने कहा कि जवाबदेही को बढ़ावा देने के तरीकों पर गौर करते हुए वाणिज्यिक लागत पर भी विचार किया जाना चाहिए। ऐसे विचार समुद्र में प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के प्रस्तावों के अनुरूप होने चाहिए, क्योंकि विभिन्न देशों ने वैश्विक प्लास्टिक संधि के लिए बातचीत शुरू कर दी है।

ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ प्लाईमाउथ के अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता इमोजेन नैपर ने कहा, ‘‘प्लास्टिक प्रदूषण और हमारे समुद्र के सामने आ रही अन्य चुनौतियां अब दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। हालांकि, इस पर सीमित कार्रवाई की गयी है और क्रियान्वयन धीमा रहा है।’’उन्होंने कहा, ‘‘अब हम अंतरिक्ष में मलबा एकत्रित होने की ऐसी ही स्थिति का सामना कर रहे हैं। समुद्र में कचरा एकत्रित होने से हमने क्या सीखा, उस पर विचार करते हुए हम गलतियां दोहराने से बच सकते हैं और अंतरिक्ष में ऐसी ही त्रासदी को रोकने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।’’उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक समझौते के बिना हम अपने आप को एक ही राह पर खड़े देख सकते हैं।’’