नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को विकासशील देशों ग्लोबल साउथ के लिए भारत में वार्षिक स्तर पर एक सम्मेलन आयोजित करने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि इसे दक्षिण सेंटर ग्लोबल साउथ के देशों के शोध केन्द्रों और थिंकटैंक के साथ मिलकर आयोजित किया जाएगा। इसका मकसद इन देशों की विकास सम्बंधी जरूरतों के लिए व्यावहारिक समाधान खोजना होगा, ताकि इन देशों का भविष्य मजबूत बन सके।
वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ सम्मेलन के दूसरे सत्र की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने कहा कि एक साल में दो सम्मेलन होना और उसमें हुई भागीदारी स्पष्ट संदेश देती है कि विकासशील देशों का यह समूह स्वायत्तता चाहता है। साथ ही यह दर्शाता है कि वे वैश्विक मुद्दों पर बड़ी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री ने इस दौरान इजराइल के घटनाक्रम का भी जिक्र किया और साझा प्रयास कर समाधान खोजे जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के संकटों को प्रभाव ग्लोबल साउथ के देशों पर भी पड़ता है।
प्रधानमंत्री ने आज सुबह लांच किए गए ‘ग्लोबल साउथ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह केंद्र विकासशील देशों के विकासात्मक मुद्दों से संबंधित अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करेगा। इस पहल के माध्यम से ग्लोबल साउथ में समस्याओं का व्यावहारिक समाधान खोजा जाएगा।
उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ छात्रवृत्ति कार्यक्रम शुरू हो गया है। अब ग्लोबल साउथ देशों के छात्रों को भारत में उच्च शिक्षा के अधिक अवसर मिलेंगे। इस वर्ष तंजानिया में भारत का पहला भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान परिसर खोला गया है। ग्लोबल साउथ में क्षमता निर्माण के लिए यह हमारी नई पहल है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान विश्वास व्यक्त किया कि जी20 की अध्यक्षता में ब्राजील ग्लोबल साउथ पर ध्यान केंद्रित करेगा। ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डिसिल्वा वर्चुअल माध्यम से अन्य देशों के शीर्ष नेताओं की तरह जुड़े हुए थे।