New Delhi : युवक की पुलिस हिरासत में मौत के मामले में 6 पुलिसकर्मियों को मिली सजा बरकरार रखने का आदेश

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नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने यूपी के नोएडा में 2006 में एक युवक की हिरासत में पुलिस प्रताड़ना के बाद हुई मौत के मामले में ट्रायल कोर्ट से 6 पुलिसकर्मियों को मिली दस साल की सजा को बरकरार रखने का आदेश दिया है। जस्टिस मुक्ता गुप्ता और जस्टिस अनीश दयाल की बेंच ने यह आदेश दिया।

2006 में नोएडा में हुई इस मामले का ट्रायल सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2011 में दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद जिस तरह से इसकी जांच हुई है उससे ऐसा नहीं लगता कि उत्तरप्रदेश में इसका निष्पक्ष ट्रायल संभव है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आरोपित उत्तर प्रेदश के पुलिसकर्मी हैं, इसलिए यूपी में निष्पक्ष ट्रायल नहीं हो सकता है।

घटना 01 सितंबर 2006 की है, जब नोएडा सेक्टर 39 के सात पुलिसकर्मी सादी वर्दी में सोनू नामक युवक के खुर्जा स्थित हजरतपुर गांव शाम छह से साढ़े छह बजे के बीच पहुंचे और उसे अपने साथ ले गए। सोनू के पिता की शिकायत के मुताबिक सादी वर्दी में आए पुलिसकर्मियों ने कहा कि उन्हें एक जमीन खरीदनी है। वे अपने साथ कार में बिठाकर सोनू को यह कहकर ल गए कि उन्हें खरीदने के लिए जमीन देखनी है। अगले दिन 2 सितंबर 2006 को खुर्जा देहात के कांस्टेबल ने सोनू के पिता को सूचना दी कि उसने नोएडा सेक्टर-20 थाने में खुदकुशी कर ली है। सोनू के पिता, उसके भाई समेत पांच गवाहों ने कोर्ट को बताया कि सोनू के जिस्म पर मारपीट के निशान दिख रहे थे।

कोर्ट में अभियोजन पक्ष का कहना था सोनू को उसके घर से उठाकर ले जाने के बाद उसके साथ मारपीट की गई। मारपीट की वजह से जमीन में बिक्री का कमीशन न मिलना था। हाई कोर्ट ने जिन पुलिस कर्मियों को दोषी ठहराया, उनमें कुंवर पाल सिंह, हिंदवीर सिंह, महेश मिश्रा, प्रदीप कुमार, पुष्पेंद्र कुमार और हरिपाल सिंह शामिल हैं। इन पुलिसकर्मियों को ट्रायल कोर्ट ने भी दोषी करार दिया था। हाई कोर्ट ने पुलिस कर्मी विनोद कुमार पांडेय को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश पर मुहर लगा दिया।