
नयी दिल्ली:(New Delhi ) भारतीय मूल के युवाओं के लिए विदेश मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए ‘भारत को जानें कार्यक्रम’ में पिछले 19 वर्षों में मात्र 2,061 प्रवासी युवा ही शामिल हुए हैं। इस पर संसद की एक समिति ने कहा कि अधिक संख्या में युवाओं तक इस कार्यक्रम की पहुंच होनी चाहिए थी और इतनी कम भागीदारी का युवाओं पर लगभग नगण्य प्रभाव पड़ेगा।संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान आठ दिसंबर को पेश ‘भारत में पर्यटन के विकास के लिए वैश्विक स्तर पर भारतीय मिशन की भूमिका’ विषय पर परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति संबंधी संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।
रिपोर्ट के अनुसार, विदेश मंत्रालय द्वारा विदेशों में स्थित भारतीय मिशन के माध्यम से ‘भारत को जानें कार्यक्रम’ योजना संचालित की जाती है। वर्ष 2003 में भारत सरकार ने 18-30 वर्ष आयु वर्ग के भारतीय मूल के युवाओं के लिए यह योजना शुरू की थी जिसका उद्देश्य उन्हें अपनी मातृभूमि के साथ फिर से जोड़ना और समकालीन भारत में हो रहे परिवर्तनों से प्रेरित करना है।‘भारत को जानें’ कार्यक्रम में प्रत्येक समूह में 40 प्रतिभागी होते हैं और भारत में एक प्रतिभागी के रहने की अवधि 25 दिन होती है जिसमें किसी भागीदार राज्य में 10 दिन रहना शामिल है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘कार्यक्रम की अवधि वित्त वर्ष 2022-23 से 25 दिन से घटाकर 21 दिन कर दी गई है। विदेश मंत्रालय ने इस कार्यक्रम के अब तक 59 संस्करण आयोजित किए हैं। इसमें अब तक कुल 2,061 प्रवासी युवा शामिल हुए हैं।’’संसदीय समिति के अनुसार, कई देशों द्वारा राजनयिक फायदे के लिए ‘युवा पर्यटन’ विकसित किया जा रहा है। प्रवासी युवा यहूदियों के लिए इजराइल ‘बर्थराइट प्रोग्राम’ आयोजित करता है जिसके परिणामस्वरूप हजारों युवा इजराइल की यात्रा कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 दिवसीय ‘विरासत’ पर्यटन का उद्देश्य इजराइल के लिए स्वयं की यहूदी पहचान विकसित करना है। इसके अनुसार, दुनियाभर में यहूदी लोगों के साथ-साथ इजराइल सरकार द्वारा वित्त पोषित कार्यक्रम उस देश के लिए एक राजनयिक सफलता बन गया है।समिति ने कहा, ‘‘इजराइल के इस कार्यक्रम ने ‘बर्थराइट आर्मेनिया’, ‘हेरिटेज ग्रीस’, ‘रीकनेक्ट हंगरी’ जैसे कार्यक्रमों को भी प्रेरित किया है।’’भारत के ‘भारत को जानें’ कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए संसदीय समिति ने कहा कि वह महसूस करती है कि कार्यक्रम को अधिक युवाओं तक पहुंचना चाहिए क्योंकि इस कार्यक्रम के 59 संस्करणों में कुल 2,061 युवाओं की भागीदारी बहुत कम है और इसका लगभग नगण्य प्रभाव पड़ेगा।
संसदीय समिति ने यह भी उल्लेख किया कि विदेश स्थित पर्यटन कार्यालयों के 31 पदों में से केवल सात ही भरे गए हैं जबकि 24 पद रिक्त हैं। इसने कहा कि इनमें 12 से अधिक पद पिछले पांच वर्षो से रिक्त हैं।रिपोर्ट के अनुसार, विदेश स्थित पर्यटन कार्यालयों में स्थानीय कर्मचारियों के 19 पदों में से छह पद रिक्त हैं। समिति ने विदेश स्थित पर्यटन कार्यालयों में तीन चौथाई पद रिक्त होने पर निराशा व्यक्त की।