फिजियोलॉजी या मेडिसिन में कैटालिन कारिको और ड्रू वीसमैन को वर्ष 2023 का नोबेल पुरस्कार
नई दिल्ली: (New Delhi) फिजियोलॉजी या मेडिसिन में वर्ष 2023 का नोबेल पुरस्कार दो अमेरिकी वैज्ञानिकों को वैक्सीन उत्पादन को आसान और तेज बनाने से जुड़ी उनकी खोज के लिए दिया जाएगा। इसी खोज का नतीजा है कि दुनियाभर में कोविड के दौरान वैक्सीन का बड़े स्तर पर उत्पादन हुआ और लोगों को जल्द ही महामारी के संकट से बचाया जा सका।
एक विज्ञप्ति के अनुसार करोलिंस्का इंस्टीट्यूट में नोबेल असेंबली ने आज फिजियोलॉजी या मेडिसिन में 2023 का नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से न्यूक्लियोसाइड बेस संशोधनों से संबंधित खोजों के लिए कैटालिन कारिको और ड्रू वीसमैन को देने का निर्णय लिया है। दोनों वैज्ञानिकों की खोज बताती है कि एमआरएनए हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ कैसे संपर्क करता है।
वैक्सीन तैयार करने की प्रक्रिया में वायरस, प्रोटीन और वेक्टर-आधारित टीकों का इस्तेमाल होता रहा है। इनके उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर सेल कल्चर की आवश्यकता होती है। ऐसे में किसी महामारी के फैलने के दौरान अधिक संसाधनों का उपयोग कर तैयार की जाने वाली वैक्सीन का तेज और बड़ी संख्या में उत्पादन करना मुश्किल होता है।
हमारी कोशिकाओं में डीएनए में एन्कोड की गई आनुवंशिक जानकारी मैसेंजर आरएनए (एमआरएनए) में स्थानांतरित हो जाती है। इसका उपयोग प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़े प्रोटीन उत्पादन के एक टेम्पलेट के रूप में होता है। 1980 के दशक के दौरान विट्रो ट्रांसक्रिप्शन नाम से सेल कल्चर के बिना एमआरएनए के उत्पादन का एक तरीका पेश किया गया। हालांकि ऐसे एमआरएनए को शरीर स्वीकार नहीं करता था और प्रतिक्रिया देता था। ऐसे में नैदानिक उद्देश्यों के लिए एमआरएनए तकनीक विकसित करने के प्रति उत्साह कम रहा।
कारिको और वीसमैन ने पाया कि डेंड्राइटिक कोशिकाएं इन विट्रो ट्रांसक्राइब्ड एमआरएनए को एक बाहरी पदार्थ मानकर उनके खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया देती थी। दोनों वैज्ञानिकों ने आधार संशोधन का उपयोग कर एक तरीका विकसित किया जिससे बने एमआरएनए के खिलाफ प्रतिक्रिया न के बराबर होती थी। 2005 में उनके यह शोध कार्य प्रकाशित हुए थे। 2008 और 2010 में प्रकाशित आगे के अध्ययनों में कारिको और वीसमैन ने दिखाया कि आधार संशोधनों के साथ बने एमआरएनए से प्रतिरक्षा प्रोटीन उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।
इससे तेज और आसानी से एमआरएनए टीके तैयार किया जाना संभव हुआ। इससे संक्रामक रोगों के खिलाफ टीकों के लिए भी नए प्लेटफॉर्म का उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त हुआ। इसके जरिए जीका वायरस और बाद में कोविड वायरस के खिलाफ प्रभावी और तेज तरीके से वैक्सीन तैयार कर पाना संभव हुआ। विभिन्न पद्धतियों के आधार पर कोविड के खिलाफ कई टीके लाए गए और विश्व स्तर पर 13 अरब से अधिक कोविड-19 वैक्सीन खुराक दी गई हैं।
कैटालिन कारिको 1955 में हंगरी के स्ज़ोलनोक में पैदा हुई थी। 2021 से वह सेज्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन में सहायक प्रोफेसर रही हैं। उन्होंने 1982 में सेज्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी प्राप्त की और 1985 तक सेज्ड में हंगेरियन एकेडमी ऑफ साइंसेज में पोस्टडॉक्टरल शोध किया।
ड्रू वीसमैन का जन्म 1959 में लेक्सिंगटन, मैसाचुसेट्स, अमेरिका में हुआ था। वह वैक्सीन रिसर्च में रॉबर्ट्स फैमिली प्रोफेसर और आरएनए इनोवेशन के लिए पेन इंस्टीट्यूट के निदेशक हैं। उन्होंने 1987 में बोस्टन विश्वविद्यालय से एमडी, पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के बेथ इज़राइल डीकोनेस मेडिकल सेंटर में अपना नैदानिक प्रशिक्षण और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में पोस्टडॉक्टरल शोध किया।