नई दिल्ली : देश के निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) प्रमुख माधवी पुरी बुच पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की तरफ से लगाए गए आरोपों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
आईसीआईसीआई बैंक ने सोमवार को सेबी प्रमुख पर लगाए गए आरोपों पर कहा कि उसने अक्टूबर, 2013 में माधवी पुरी बुच की सेवानिवृत्ति के बाद से उन्हें कोई भी वेतन या ईएसओपी नहीं दिया है। बैंक ने अपने बयान में कहा कि बुच को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद किए गए सभी भुगतान आईसीआईसीआई समूह में काम करते समय उनके द्वारा अर्जित किए गए थे। इन भुगतानों में ईएसओपी और सेवानिवृत्ति लाभ भी शामिल हैं।
बैंक ने कहा कि हमारे नियमों के तहत ईएसओपी आवंटित किए जाने की तारीख से अगले कुछ वर्षों में मिलते हैं। बुच को ईएसओपी आवंटन किए जाते समय लागू नियमों के तहत सेवानिवृत्त कर्मचारियों समेत बैंक कर्मचारियों के पास विकल्प था कि वे अधिकृत होने की तारीख से 10 साल की अवधि तक कभी भी अपने ईएसओपी का उपयोग कर सकती हैं।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि वर्ष 2017 में बाजार नियामक सेबी का सदस्य बनने वालीं माधवी पुरी बुच ने वेतन और अन्य पारिश्रमिक के तौर पर आईसीआईसीआई बैंक से 16.8 करोड़ रुपये हासिल किए थे। इसके पहले कांग्रेस महासचिव और मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने अडाणी समूह के द्वारा सेबी नियमों के उल्लंघन पर की जा रही नियामकीय जांच के मामले में सेबी प्रमुख पर गंभीर सवाल उठाए थे।