नई दिल्ली: (New Delhi) जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने शुक्रवार को कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन से संबद्ध नई दिल्ली लीडर्स घोषणापत्र वैश्विक दक्षिण यानी विकासशील देशों की आवाज होगा। इसे तैयार कर लिया गया है। इसे वैश्विक नेताओं के समक्ष विचार के लिए रखा जाएगा। सर्वसम्मति बनने के बाद इसे जारी किया जाएगा।
दुनिया की 20 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूह जी-20 की नई दिल्ली में शिखर वार्ता शुरू होने से पहले प्रगति मैदान में स्थापित अंतरराष्ट्रीय मीडिया केंद्र में आयोजित विशेष पत्रकार वार्ता में अमिताभ कांत ने कहा कि प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप भारत ने जी-20 अध्यक्षता के दौरान इसे समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और कार्योन्मुख बनाने का प्रयास किया गया है। हमने प्रयास किया है कि इसमें वैश्विक दक्षिण यानी विकासशील देशों को प्राथमिकता मिले और उन्हें अपने सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में सहयोग प्राप्त हो।
अमिताभ कांत ने कहा कि भारत ने जब इंडोनेशिया में जी-20 की अध्यक्षता संभाली तो दुनिया में विकास की दर प्रभावित थी। कोविड का प्रभाव मिटा नहीं था। गरीबी और बेरोजगारी बढ़ी थी। देशों को अपने सतत विकास लक्ष्य हासिल करने में चुनौती का सामना करना पड़ रहा था। भारत ने ऐसे समय में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के विचार को आगे बढ़ाने को सोचा और समूह के प्रयासों को समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और कार्योन्मुख बनाने की कोशिश की।
उन्होंने कहा कि जी-20 से जुड़ी हमारी प्राथमिकताएं वैश्विक विकास को बढ़ाना, सतत विकास लक्ष्यों की ओर तेजी से बढ़ना, हरित विकास को बढ़ावा देना यानी क्लाइमेट एक्शन, इन्हें पाने के लिए वैश्विक दक्षिण को वित्तीय मदद दिलाना और दुनिया में तकनीकी और डिजिटल इंफ्रॉस्ट्रक्चर बढ़े ताकि समावेशी विकास हो और महिला विकास एवं समानता रही। हमारा दृष्टिकोण विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण की आवाज बनना और उनकी प्राथमिकताओं को आगे रखना रहा।
उन्होंने कहा कि जी-20 में इस बार अधिक भागीदारी सुनिश्चित की गई है। 19 देश, एक यूरोपीय संघ के अलावा नौ विशेष आमंत्रित, तीन क्षेत्रीय संगठन और 11 अंतरराष्ट्रीय संगठन इससे जुड़े गतिविधियों में हिस्सा ले चुके हैं। देश के 60 शहरों में 220 से अधिक जी- 20 संबंधित बैठकें हो चुकी हैं। यह भारत की विविधता और संघीय संरचना का प्रतिबिंब हैं।