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New Delhi : मुख्यमंत्री कार्यालय या सचिवालय नहीं जा सकेंगे केजरीवाल, किसी भी फाइल पर नहीं करेंगे हस्ताक्षर

तिहाड़ जेल अधीक्षक के सामने ही 50 हजार रुपये का बेल बॉन्ड भरना होगा
नई दिल्ली : (New Delhi)
सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी घोटाला मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) को अंतरिम जमानत देते हुए कई शर्तें भी लगाईं हैं। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि केजरीवाल इस दौरान मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकेंगे। उन्हें तिहाड़ जेल अधीक्षक के सामने ही 50 हजार रुपये का बेल बॉन्ड भरना होगा।

जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री और एक राष्ट्रीय दल के नेता हैं। नि:संदेह उनके खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं लेकिन उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है। उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। केजरीवाल समाज के लिए खतरा नहीं हैं। कोर्ट ने 50 हजार रुपये के निजी मुचलके और 50 हजार रुपये के जमानती के आधार पर जमानत दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने जमानत की शर्तें तय करते हुए कहा कि केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय नहीं जाएंगे। केजरीवाल किसी भी फाइल पर उप-राज्यपाल की मंजूरी के बिना हस्ताक्षर नहीं करेंगे। वह अंतरिम जमानत के दौरान अपने केस पर अपनी भूमिका को लेकर कोई कमेंट नहीं करेंगे। साथ ही मामले से जुड़े किसी गवाह से संपर्क नहीं करेंगे। कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 1 जून तक की अंतरिम जमानत देते हुए 2 जून को सरेंडर करने का आदेश दिया है।

हालांकि, ईडी ने अंतरिम जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि चुनाव प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है, न ही संवैधानिक अधिकार। यहां तक कि ये कानूनी अधिकार भी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट 2017 में चुनाव आयोग बनाम मुख्तार अंसारी के मामले में ये फैसला दे चुका है। इससे पहले कोर्ट ने 7 मई अंतरिम जमानत पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कोर्ट को बताया कि जब आबकारी नीति से जुड़े घोटाले की जांच शुरू हुई थी, तब केजरीवाल की भूमिका की जांच नहीं हो रही थी। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी तो उनकी भूमिका सामने आई। जस्टिस खन्ना ने कहा था कि यह एक असाधारण स्थिति है। चुनाव चल रहा है और एक मुख्यमंत्री जेल में है। यह सामान्य मामला नहीं है। जस्टिस खन्ना ने कहा था कि हम अंतरिम जमानत पर सुनवाई इसलिए नहीं कर रहे कि केजरीवाल राजनेता हैं बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए कुछ विशेष और असाधारण परिस्थिति हो सकती है। हम यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि केजरीवाल के लिए चुनाव ऐसी असाधारण स्थिति है क्या।

सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल को केजरीवाल की याचिका पर ईडी को नोटिस जारी किया था। केजरीवाल ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इससे पहले 9 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली अरविंद केजरीवाल की याचिका खारिज कर दी थी।

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