New Delhi : यासीन मलिक के खिलाफ टेरर फंडिंग मामले में मौत की सजा की अपील पर इन-कैमरा सुनवाई की मांग

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नई दिल्ली : (New Delhi) राष्ट्रीय जांच एजेंसी (National Investigation Agency) (NIA) ने हत्या और टेरर फंडिंग मामले में दोषी करार दिए गए यासिन मलिक को ट्रायल कोर्ट से मिली उम्रकैद की सजा को फांसी की सजा में तब्दील करने की मांग पर इन-कैमरा सुनवाई करने की मांग की है। जस्टिस विवेक चौधरी (Justice Vivek Chaudhary) की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वो इस मांग पर विचार करेगा। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनआईए की अर्जी पर 28 जनवरी, 2026 को सुनवाई करने का आदेश दिया।

इन-कैमरा सुनवाई का मतलब होता है कि आरोपित और अभियोजन पक्ष के अलावा कोर्ट में किसी भी दूसरे पक्ष को उपस्थित होने की अनुमति नहीं होती है। ऐसा अक्सर काफी संवेदनशील मामलों में होता है।

11 अगस्त को उच्च न्यायालय ने यासिन मलिक को ट्रायल कोर्ट से मिली उम्रकैद की सजा को फांसी की सजा में तब्दील करने की एनआईए की मांग पर सुनवाई करते हुए यासिन को नोटिस जारी किया था। 25 मई, 2022 को पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) ने हत्या और टेरर फंडिंग के मामले में दोषी करार दिए गए यासिन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। पटियाला हाउस कोर्ट ने यासिन मलिक पर यूएपीए की धारा 17 के तहत उम्रकैद और 10 लाख का जुर्माना, धारा 18 के तहत 10 साल की कैद और 10 हजार का जुर्माना, धारा 20 के तहत 10 वर्ष की सजा और 10 हजार का जुर्माना, धारा 38 और 39 के तहत 5 साल की सजा और 5 हजार का जुर्माना लगाया था। इसके अलावा धारा 120बी के तहत 10 वर्ष की सजा और 10 हजार का जुर्माना, धारा 121ए के तहत 10 साल की सजा और 10 हजार का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने कहा था कि यासिन मलिक को मिली ये सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। इसका मतलब की अधिकतम उम्रकैद की सजा और 10 लाख रुपये की सजा प्रभावी होगी।

10 मई, 2022 को यासिन मलिक ने पटियाला हाउस कोर्ट में अपना गुनाह कबूल कर लिया था। 16 मार्च, 2022 को कोर्ट ने हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, रशीद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताफ अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खूफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तोयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। 1993 में अलगवावादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई।

एनआईए के मुताबिक हाफिद सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया। इस धन का उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में किया। इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था। पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए एनआईए ने यासिन मलिक को फांसी की सजा की मांग की है। ये याचिका अभी उच्च न्यायालय में लंबित है।