नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया को निर्देश दिया है कि वो अपने रेजिडेंशियल कोचिंग एकेडमी (आरसीए) में ओबीसी (नॉन क्रीमी लेयर) और ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के छात्र-छात्राओं को दाखिला देने की मांग पर प्रतिवेदन की तरह विचार करे। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया।
लॉ स्टूडेंड सत्यम सिंह ने दायर याचिका में कहा कि आरसीए में सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए मुफ्त में कोचिंग करायी जाती है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील संजय पोद्दार और आकाश वाजपेयी ने कहा कि आरसीए में केवल अल्पसंख्यक या एससी-एसटी समुदाय के छात्र-छात्राओं का मुफ्त में दाखिला लिया जाता है, भले ही उनकी आर्थिक हालत अच्छी क्यों नहीं हो। याचिका में कहा गया था कि ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के उन छात्र-छात्राओं को दाखिला नहीं दिया जाता, जो वित्तीय रूप से कमजोर होते हैं।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ओबीसी और ईडब्ल्यूएस समुदाय से जुड़े हुए लोग भी पिछड़े वर्ग के हैं और उन्हें भी मुफ्त कोचिंग का लाभ दिया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया था कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक कोचिंग के लिए ओबीसी और ईडब्ल्यूएस वर्ग के छात्र-छात्राओं को भी दाखिला देने का प्रावधान है। ऐसे में जब आरसीए की फंडिंग यूजीसी कर रही है तो ईडब्ल्यूएस और ओबीसी के छात्र-छात्राओं को भी दाखिला दिया जाना चाहिए।