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New Delhi : एमयूडीए मामले में राज्यपाल ने दी सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति, भाजपा ने मांगा इस्तीफा

नई दिल्ली : (New Delhi) कर्नाटक में मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (Mysore Urban Development Authority) (एमयूडीए) मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलेगा। शनिवार को राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। कर्नाटक के राज्यपाल द्वारा कथित एमयूडीए घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने पर भारतीय जनता पार्टी ने निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगा है। भाजपा का आरोप है कि साल 1998 से लेकर 2023 तक सिद्धारमैया राज्य के प्रभावशाली और अहम पदों पर रहे। उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया और अपने परिवार वालों को लाभ पहुंचाया।

भाजपा मुख्यालय में आज आयोजित संयुक्त प्रेसवार्ता में भाजपा सांसद संबित पात्रा और सांसद तेजस्वी सूर्या ने इस मामले को गंभीर बताते हुए इस मामले की स्वंतत्र रूप से जांच की मांग की है। संबित पात्रा ने कहा कि कर्नाटक में हुआ भूमि घोटाला तीन से चार हजार करोड़ रुपये का घोटाला है। कांग्रेस के घोटाले का स्वरूप इतना बड़ा होता है। सिद्धारमैया सरकार ने भूमि घोटाला किया और अपने परिवार को लाभ पहुंचाया है। अब मुकदमा चलेगा, जांच होगी तो सब लोगों के सामने आ जाएंगे।

तेजस्वी सूर्या ने कहा कि सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को मैसूर के सबसे महंगे इलाके में 14 साइटें आवंटित की गईं। यह निर्णय तब लिया गया, जब सिद्धारमैया के बेटे, यतींद्र, मैसूर से विधायक थे और एमयूडीए परिषद के सदस्य थे। उस वक्त सिद्धारमैया उपमुख्यमंत्री थे, तब भूमि की पहचान की गई थी-कानून ने गिफ्ट डीड के जरिए जमीन खरीदी और अपनी पत्नी को दे दी। जब सिद्धारमैया दोबारा मुख्यमंत्री बने तो उनकी पत्नी ने एमयूडीए से मुआवजे के लिए आवेदन किया और प्रस्ताव पारित हो जाता है। संक्षेप में यह घोटाला मामूली मामला नहीं है, जो नेशनल हेराल्ड मामले या उस तरह के आरोपों से बहुत अलग नहीं है। सूर्या ने कहा कि कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि यह राज्यपाल बनाम सरकार का मामला है। यह अनियमितता और भ्रष्टाचार का बेहद गंभीर मामला है। भाजपा मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग कर रही है। उन्होंने कहा कि जब तक सिद्धारमैया मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे तब तक जांच स्वतंत्र रूप से संभव नहीं है। उन्हें नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए और तुरंत मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए ताकि निष्पक्ष एवं स्वतंत्र जांच का रास्ता तैयार हो सके।

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