नई दिल्ली : नोएडा की जिला अदालत ने विदेश मंत्रालय में कार्यरत सीआईएसएफ कमांडेंट रंजन प्रताप सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्च इंजन गूगल को निर्देश दिया है कि वो रंजन प्रताप सिंह से सभी संबंधित खबरों को हटाए। सिविल जज अर्पिता सिंह ने ये आदेश जारी किया।
कोर्ट ने गूगल को निर्देश दिया कि वो ये सुनिश्चित करे कि रंजन प्रताप सिंह की खबरों की आगे शेयरिंग न हो। कोर्ट ने याचिकाकर्ता रंजन प्रताप सिंह को निर्देश दिया कि अगर उन्हें गूगल पर उनसे संबंधित कोई ऐसे लिंक के बारे में पता चले तो वे गूगल को सूचित करें। दरअसल, दिल्ली के साकेत कोर्ट में रंजन प्रताप सिंह के खिलाफ ड्रग्स तस्करी का एक केस 2019 से लंबित है। रंजन प्रताप सिंह पर आरोप है कि उन्होंने एक महिला आईएएस अधिकारी के पति को फंसाने के लिए उसकी कार में ड्रग्स रखवाया। रंजन महिला आईएएस अधिकारी से एकतरफा प्यार करते थे। महिला आईएएस अधिकारी ने जब बातचीत बंद कर दी तो उसने बदला लेने के चक्कर में महिला आईएएस के पति की कार में ड्रग्स रखवाया।
इस मामले में कई अखबारों में और वेबसाइट पर खबरें प्रकाशित हुईं। इन खबरों से परेशान होकर रंजन प्रताप सिंह ने नोएडा की अदालत का दरवाजा खटखटाया। याचिका में कहा गया था कि उनके खिलाफ दिल्ली के साकेत कोर्ट में ड्रग्स तस्करी का केस लंबित है लेकिन बिना तथ्यों की तहकीकात किए उनके खिलाफ खबरें चलाई जा रही हैं। इन खबरों से याचिकाकर्ता, उसका परिवार और खासकर उसकी नाबालिग बेटी काफी परेशान रहती है। इन अपमानजनक खबरों की वजह से उनकी बेटी की मानसिक स्थिति पर बुरा असर पड़ता है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कोई भी आरोपित जब तक दोषी नहीं करार दिया जाता तब तक वह निर्दोष है। इसके बावजूद उसके खिलाफ मीडिया ट्रायल चलाया जा रहा है।