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New Delhi : फ्रांसीसी एयरबस नासिक में स्थापित करेगी एमआरओ, एचएएल से समझौता

  • डीजीसीए से अनुमोदन मिलने के बाद नवंबर 2024 तक स्थापित होगा एमआरओ
  • भविष्य में नासिक का यह एमआरओ पूरे एशियाई क्षेत्र के लिए भी उपलब्ध होगा

नई दिल्ली : फ्रांसीसी कंपनी एयरबस अपने ए-320 विमानों के रखरखाव, मरम्मत और संचालन (एमआरओ) के लिए भारत में केंद्र खोलेगी। महाराष्ट्र के नासिक में एमआरओ स्थापित करने के लिए एयरबस ने गुरुवार को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ एक समझौता किया। भविष्य में नासिक की यह सुविधा पूरे एशियाई क्षेत्र के लिए भी उपलब्ध होगी। डीजीसीए से अनुमोदन मिलने के बाद यह एमआरओ सुविधा नवंबर 2024 तक स्थापित हो जाएगी।

एचएएल और एयरबस ने नासिक में ए-320 विमानों का सिविल एमआरओ स्थापित करने के लिए आज समझौता किया। एयरबस ए-320 फैमिली टूल पैकेज की आपूर्ति करेगी और एमआरओ स्थापित करने के लिए एचएएल को विशेष परामर्श सेवाएं देगी। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से अनुमोदन मिलने के बाद यह एमआरओ सुविधा नवंबर, 2024 तक स्थापित हो जाएगी। भविष्य में नासिक की यह सुविधा पूरे एशियाई क्षेत्र के लिए भी उपलब्ध होगी। कंपनी ने कहा कि एयरबस एचएएल को एयरबस वर्ल्ड तक पहुंच भी प्रदान करेगा, जो एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है।

एयरबस ने गुरुवार को कहा कि वह बेंगलुरु मुख्यालय वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ वाणिज्यिक विमानों, विशेष रूप से ए-320 परिवार के विमानों की सर्विसिंग के लिए साझेदारी कर रही है। एयरबस ने कहा कि इसके जरिए वह भारत में विमान रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) उद्योग को भी मजबूत करना चाहता है। इस साझेदारी के माध्यम से एयरबस देश के विस्तारित वाणिज्यिक बेड़े, विशेष रूप से ए-320 परिवार के विमानों के लिए एमआरओ सेवाओं की बढ़ती मांग को पूरा करने में एचएएल को समर्थन देगा।

एचएएल के सीईओ (मिग कॉम्पेक्स) साकेत चतुर्वेदी ने कहा कि एचएएल का लक्ष्य देश में एकीकृत एमआरओ हब स्थापित करना और एयरलाइंस को एक प्रभावी एमआरओ समाधान प्रदान करना है। एचएएल नासिक का यह कदम भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ मिशन से भी जुड़ा है। एचएएल के नासिक डिवीजन में सिविल एमआरओ की क्षमताएं हैं, जिसमें डीजीसीए से अनुमोदित तीन हैंगर और उनकी रक्षा गतिविधियों से जुड़े कुशल कर्मचारी हैं।

एयरबस इंडिया और दक्षिण एशिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आरएमआई माइलार्ड ने कहा कि स्वदेशी एमआरओ बुनियादी ढांचा न केवल एयरलाइंस को अपने विमान संचालन को सुव्यवस्थित करने में मदद करेगा, बल्कि भारत को वैश्विक विमानन केंद्र बनाने के सरकार के लक्ष्य का भी समर्थन करेगा। एचएएल अपने गहरे अनुभव के साथ एयरोस्पेस उद्योग क्षेत्र के विकास को गति देने के लिए अच्छी स्थिति में है।

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