New Delhi : महाराष्ट्र के 57 स्थानीय निकायों के चुनाव परिणाम अंतिम फैसले पर निर्भर करेंगे : सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली : (New Delhi) उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत (Chief Justice Surya Kant) की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि महाराष्ट्र के 57 स्थानीय निकायों में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण का प्रावधान किया गया है, इसलिए इनके परिणाम उच्चतम न्यायालय के फैसले पर निर्भर करेंगे। इस मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी।

सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने उच्चतम न्यायालय के 50 फीसदी आरक्षण सीमा के आदेश का पालन करने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) से विचार कर बताने के लिए समय देने की मांग की। इससे पहले 19 नवंबर को अदालत ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह स्थानीय निकाय चुनावों में 50 फीसदी से अधिक आरक्षण न दे। अदालत ने चेतावनी दी थी कि अगर यह सीमा पार हुई तो चुनाव रोक दिए जाएंगे। अदालत ने कहा था कि चुनाव 2022 की बंथिया आयोग रिपोर्ट (2022 Banthia Commission report) से पहले की स्थिति के अनुसार ही हों और रिपोर्ट अभी लंबित है।

उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर बांबे उच्च न्यायालय (Bombay High Court) के उस अंतरिम आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें उच्च न्यायालय ने दस फीसदी मराठा आरक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। बांबे उच्च न्यायालय ने 11 जून को अपने अंतरिम आदेश में महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण लागू करने की अनुमति दे दी थी।

दरअसल, 20 फरवरी 2024 को महाराष्ट्र विधानमंडल (Maharashtra Legislature) ने महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर कानून पारित किया था। रिपोर्ट में मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए असाधारण परिस्थितियों का जिक्र किया गया, जो राज्य में 50 फीसदी कुल आरक्षण की सीमा से अधिक है। 2021 में उच्चतम न्यायालय ने 2018 में बनाए गए पहले के मराठा आरक्षण के कानून को निरस्त कर दिया था। 2018 के आरक्षण में 16 फीसदी आरक्षण दिया गया था।