New Delhi : ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के दौरान राजनीतिक नेतृत्व ने हमें पूरी छूट दी थी : सेनाध्यक्ष

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सेना कमांडरों को खुद फैसले लेकर अपने विवेक के अनुसार काम करने में मदद मिली
नई दिल्ली : (New Delhi)
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी (Army Chief General Upendra Dwivedi) ने कहा कि ऑपरेशन ‘सिंदूर’ ने पूरे देश को एक सूत्र में बांध दिया है, क्योंकि पाकिस्तान के साथ हवाई संघर्ष के दौरान सरकार ने हमें पूरी छूट दी थी। पहली बार हमने राजनीतिक स्पष्टता देखी। किसी भी तरह की पाबंदी न होने से सेना कमांडरों को खुद फैसले लेकर अपने विवेक के अनुसार काम करने में मदद मिली।

थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने यह टिप्पणी आईआईटी मद्रास में 4 अगस्त को एक कार्यक्रम के दौरान की थी, जिसकी अधिकृत जानकारी सेना ने रविवार को दी है।ऑपरेशन पर थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी कहते हैं कि 22 अप्रैल को पहलगाम में जो हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर दिया था।हमले के दूसरे दिन यानी 23 अप्रैल को हम सब बैठे। यह पहली बार था, जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath) ने कहा, ‘बस बहुत हो गया।’ तीनों सेना प्रमुख इस बात पर बिल्कुल स्पष्ट थे कि कुछ तो करना ही होगा। सरकार की ओर से पूरी छूट दी गई थी कि आप तय करें कि क्या करना है। इस तरह का आत्मविश्वास, राजनीतिक दिशा और राजनीतिक स्पष्टता हमने पहली बार देखी।

उन्होंने कहा कि राजनीतिक नेतृत्व की स्पष्टता के चलते हमारे सेना कमांडर-इन-चीफ (Army Commander-in-Chief) को जमीन पर रहकर अपनी बुद्धि के अनुसार काम करने में मदद मिली। 25 अप्रैल को हमने उत्तरी कमान का दौरा किया, जहां हमने सोचा, योजना बनाई, संकल्पना की और नष्ट किए गए 9 में से 7 लक्ष्यों पर हमले को अंजाम दिया और बहुत सारे आतंकवादी मारे गए। इसके बाद 29 अप्रैल को हम पहली बार प्रधानमंत्री से मिले। यह महत्वपूर्ण है कि ऑपरेशन ‘सिंदूर’ (Operation ‘Sindoor’) ने पूरे देश को एक साथ जोड़ा। यह कुछ ऐसा है, जिसने पूरे देश को प्रेरित किया। यही कारण है कि पूरा देश कह रहा था कि आपने इसे क्यों रोक दिया? यह प्रश्न पूछा जा रहा था और इसका पर्याप्त उत्तर दिया गया है।

आईआईटी मद्रास में संबोधन के दौरान थल सेनाध्यक्ष ने बताया कि ऑपरेशन ‘सिंदूर’ में हमने शतरंज खेला। हमें नहीं पता था कि दुश्मन की अगली चाल क्या होगी और हम क्या करने वाले हैं। इसे ग्रेजोन कहते हैं, जिसका मतलब है कि हम पारंपरिक ऑपरेशन नहीं कर रहे हैं। हम जो कर रहे हैं, वह पारंपरिक ऑपरेशन से बस थोड़ा कम है। हम शतरंज की चालें चल रहे थे और वह (दुश्मन) भी शतरंज की चालें चल रहा था। कहीं हम उन्हें शह और मात दे रहे थे, तो कहीं हम अपनी जान गंवाने के जोखिम पर भी वार कर रहे थे, लेकिन ज़िंदगी का असली मतलब यही है।