नई दिल्ली : दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज विमल यादव ने टेरर फंडिंग मामले में जम्मू-कश्मीर की बारामूला सीट से सांसद इंजीनियर रशीद के खिलाफ दर्ज मामले की शुक्रवार को सुनवाई टाल दी। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर को करने का आदेश दिया। सांसद रशीद ने पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर कर संसद सत्र में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की है।
रशीद ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये कोर्ट में पेश होकर कहा था कि मुझे लोगों ने चुना है और संसद के पिछले सत्र में मुझे हिस्सा नहीं लेने दिया गया। रशीद ने हाथ जोड़कर कहा था कि उसे संसद सत्र में हिस्सा लेने के लिए अंतरिम जमानत दी जाए। इसके पहले एडिशनल सेशंस जज चंदर जीत सिंह ने 21 नवंबर को रशीद से जुड़े मामले को एमपी-एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज को भेजने का आदेश दिया था। इसके बाद इस मामले की सुनवाई प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज कर रहे थे।
एडिशनल सेशंस जज चंदर जीत सिंह ने कहा था कि इस मामले के आरोपित रशीद अब सांसद हो चुके हैं, इसलिए इस मामले की सुनवाई उस कोर्ट में ट्रांसफर होनी चाहिए जो एमपी-एमएलए से संबंधित मामलों की सुनवाई करती है। पटियाला हाउस कोर्ट ने 10 सितंबर को रशीद को जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए 2 अक्टूबर तक अंतरिम जमानत दी थी। उसके बाद से कोर्ट रशीद की दो बार अंतरिम जमानत बढ़ाई थी। रशीद ने 28 अक्टूबर को तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया था।
रशीद ने लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की है। उनको 2016 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था। पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च, 2022 को हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासीन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, रशीद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया।
एनआईए के मुताबिक हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिए आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया। इसका उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया। इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था।