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New Delhi : कैट ने अमेजन और फ्ल‍िपकार्ट पर ई-कॉमर्स कानून को तत्काल लागू करने की मांग की

नई दिल्‍ली : कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने ई-कॉमर्स दिग्‍गज अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की जांच के निष्कर्षों का स्वागत किया है। कैट ने भारतीय कानूनों का कथित उल्लंघन करने वाली इन विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री एमेरिटस प्रवीन खंडेलवाल ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि वह जल्द ही इस मुद्दे को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के सामने उठाएंगे। इसके साथ ही ई-कॉमर्स नियमों और ई-कॉमर्स नीति को लागू करने का आग्रह भी करेंगे, ताकि ई-कॉमर्स कंपनियां कानून का उल्लंघन करने की हिम्मत न कर सकें। उन्‍होंने कहा कि हाल ही गोयल ने ई-कॉमर्स कंपनियों की व्यावसायिक प्रथाओं की आलोचना की थी।

चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र से भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। खंडेलवाल ने कहा कि कैट का सहयोगी संगठन दिल्ली व्यापार महासंघ ने 2020 में सीसीआई में इन कंपनियों की व्यावसायिक प्रथाओं की गहन जांच की मांग करते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। सीसीआई की रिपोर्ट के बाद भारतीय व्यापारियों को न्याय मिला है।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से कहा कि सीसीआई की जांच में ई-कॉमर्स दिग्‍गज अमेजन और फ्ल‍िपकार्ट दोनों द्वारा किए गए कई उल्लंघनों को उजागर किया गया है। इनमें भारी छूट, विशेष विक्रेता समझौते, चुनिंदा विक्रेताओं को तरजीह देना और शिकारी मूल्य निर्धारण शामिल हैं, जो देश के खुदरा व्‍यापार क्षेत्र के लिए हानिकारक हैं। भरतिया ने कहा कि जांच से पता चला है कि ये प्रथाएं मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी विशिष्ट श्रेणियों तक सीमित नहीं थीं बल्कि विभिन्न उत्पाद लाइनों तक फैली हुई थीं।

भरतिया ने इसकी व्याख्या करते हुए कहा कि कई वर्षों से ये विदेशी वित्त पोषित ई-कॉमर्स दिग्गज शिकारी रणनीतियों और प्रतिस्पर्धा-विरोधी व्यावसायिक प्रथाओं को अपनाकर भारत के खुदरा बाजार को नुकसान पहुंचा रहे हैं और नष्ट कर रहे हैं। कारोबारी नेता ने कहा कि वर्तमान में मोटी जेबों वाली विदेशी कंपनियों की इन प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं के कारण 90 मिलियन भारतीय खुदरा विक्रेता गंभीर कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

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