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New Delhi : बॉडीबिल्डर वंदना ने इंडोनेशिया में बढ़ाया तिरंगे का मान, जुनून और जज्बे से जीता स्वर्ण

नई दिल्ली : (New Delhi) भारत की बुलंद आवाज बनकर बॉडीबिल्डर वंदना ठाकुर (Bodybuilder Vandana Thakur) इंडोनेशिया से गोल्ड लेकर लौटी हैं। यह सिर्फ पदक नहीं, बल्कि इसमें संदेश छिपा है कि भारत की बेटियां जब ठान लेती हैं, तो इतिहास का रुख भी बदल देती हैं।

रिपब्लिक ऑफ इंडोनेशिया के बाटम शहर रियाउ प्रांत में 11 से 17 नवंबर तक आयोजित 16वीं वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग (16th World Bodybuilding) और फिजिक स्पोर्ट्स चैम्पियनशिप में वंदना ठाकुर ने दुनिया भर के दिग्गज बॉडीबिल्डर्स के बीच भारत का प्रतिनिधित्व किया। वंदना ने अकेले ही पूरे राष्ट्र की उम्मीदों का भार अपने कंधों पर उठाकर उसे स्वर्णिम अंजाम तक पहुंचाया। स्वर्णिम मंच तक पहुंचने का उनका सफर कठिन था, लेकिन वंदना एक ही बात पर अड़ी हुई थीं “रार नहीं ठानूंगी, हार नहीं मानूंगी।” सुबह की पहली किरण से पहले उठना, घंटों की कड़ी ट्रेनिंग, चोटों से लड़ना और फिर भी मुस्कुराते हुए आगे बढ़ना वन्दना की यही कहानी उन्हें आज भारत का स्वर्णिम गर्व बनाती है। यह जीत सिर्फ उनके मजबूत शरीर की नहीं, बल्कि उनके अटूट मनोबल, आत्मअनुशासन और देश के प्रति निःस्वार्थ और बेबाक प्रेम की जीत है।

जीत को लेकर भावुक वंदना ठाकुर ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, “जब मैं मंच पर गई, तो मेरे दिमाग में सिर्फ एक ही बात थी, तिरंगे के लिए जीतना। भारत का तिरंगा इस मंच पर लहराना है, यही मेरा लक्ष्य था और इसे सच करने के लिए जो भी करना पड़े, उसके लिए मैं तैयार थी। मैंने कई महीनों पहले से ही देश के लिए गोल्ड लाने की जिद के साथ तैयारी कर दी थी। मैं हर महिला से, हर लड़की से यही कहना चाहती हूं कि कुछ भी हासिल करने की ललक यदि मन में हो, तो उसे पूरा करने की जिद पर अड़ जाओ। तुम्हें जीतने से कोई भी नहीं रोक सकता, खुद तुम भी नहीं। यह गोल्ड मेडल सिर्फ मेरा नहीं, बल्कि हर उस महिला का है, जिसे कभी बताया गया था कि वह कुछ नहीं कर सकती, लेकिन फिर भी उसने कर दिखाया। मैं चाहती हूं कि यह मेडल भारत की हर एक बेटी के सपनों में सुनहरा रंग भरे और उन्हें सबसे आगे रहने की प्रेरणा दे।”

वंदना ठाकुर की यह ऐतिहासिक उपलब्धि इसलिए भी विशेष है, क्योंकि वे भारत की पहली महिला बॉडीबिल्डर बन गई हैं, जिन्होंने महिला बॉडीबिल्डिंग कैटेगरी (first Indian female bodybuilder) में भारत के लिए गोल्ड जीतकर दुनिया भर में देश का नाम रोशन किया है। वंदना की इस उपलब्धि ने न सिर्फ भारत के खेल इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ा है, बल्कि करोड़ों महिलाओं को यह भरोसा भी दिया है कि सपनों के साथ चलने वाले कदम कभी व्यर्थ नहीं जाते। ऐसे में, वंदना आज सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि नई पीढ़ी की प्रेरणा, उम्मीद और साहस की प्रतीक बन चुकी हैं। सिल्वर और गोल्ड की कहानी से परे, असल में वंदना जैसी महिलाएं ही भारत का गोल्ड हैं।

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