नई दिल्ली : दिल्ली के उप-राज्यपाल वी.के. सक्सेना ने प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन सिख फॉर जस्टिस से फंड पाने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी से जांच कराए जाने की सिफारिश की है।
उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों के अनुसार एनआईए को जांच सौंपे जाने की सिफारिश की गई है। आरोप है कि आम आदमी पार्टी को आतंकी देवेन्द्र पाल भुल्लर की रिहाई आसान बनाने और खालिस्तान समर्थक भावनाओं को बढ़ावा देने के लिए खालिस्तानी संगठन की ओर से 1.6 करोड़ डॉलर प्राप्त हुए थे।
इस संबंध में विश्व हिंदू महासंघ के आशू मोंगिया ने शिकायत दर्ज कराई थी। गृह सचिव को सिफारिश में कहा गया है कि शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की फोरेंसिक जांच सहित पूरे मामले की जांच जरूरी है। इसमें मुख्यमंत्री के पत्र का भी जिक्र है जिसमें इकबाल सिंह से कहा गया था कि आप सरकार पहले ही राष्ट्रपति से प्रोफेसर भुल्लर की रिहाई की सिफारिश कर चुकी है।
उपराज्यपाल ने उस वीडियो संदेश का भी उल्लेख किया है जिसमें खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने दावा किया था कि आप पार्टी ने फंडिंग प्राप्त की है।
मामले में आप पार्टी ने उपराज्यपाल पर पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। दिल्ली में आप सरकार मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि उपराज्यपाल चुनावी मौसम में सुर्खियां बटोरने की कोशिश कर रहे हैं। यह एलजी के संवैधानिक पद का पूरी तरह दुरुपयोग है।
उन्होंने कहा कि इसी मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग वाली जनहित याचिका दो साल पहले हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी।
वहीं, भाजपा ने एलजी के फैसले का स्वागत किया है। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने प्रतिक्रया व्यक्त करते हुए कहा कि केजरीवाल का खलिस्तान लिब्रेशन फ्रंट को मौन समर्थन एवं बदले में पंजाब विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल को समर्थन मिला है।
उन्होंने कहा कि खलिस्तान लिब्रेशन फ्रंट और जे.के.एल.एफ. के प्रति भी उनके नरम दिल को ध्यान में रखते हुए, हम सिख फॉर जस्टिस से केजरीवाल के वित्तीय सहायता स्वीकार करने की सम्भावना को नकार नहीं सकते हैं।